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Chaitra Navratri 2024 Day 4: मां कूष्मांडा की पूजा के समय करें इन मंत्रों का जप और आरती, दूर होंगे दुख और संताप

सनातन शास्त्रों में भी मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्माण्डा का गुणगान किया गया है। ब्रह्माण्ड की रचना मां कूष्माण्डा ने की है। उनका निवास स्थान सूर्य लोक में हैं। जगत जननी मां कूष्मांडा ब्रह्मांड की रक्षा करती हैं। धार्मिक मत है कि भक्तों की महज सेवा और श्रद्धा भाव से मां कूष्मांडा प्रसन्न हो जाती हैं। मां की कृपा से व्रती को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 11 Apr 2024 04:35 PM (IST)
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Chaitra Navratri 2024 Day 4: मां कूष्मांडा की पूजा के समय करें इन मंत्रों का जप और आरती
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chaitra Navratri 2024 Day 4: जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की महिमा निराली हैं। अपने भक्तों का उद्धार करती हैं, तो दुष्टों का संहार करती हैं। उनकी कृपा से भक्तों के जीवन में मंगल ही मंगल होता है। सनातन शास्त्रों में मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा का गुणगान किया गया है। ब्रह्माण्ड की रचना मां कूष्मांडा ने की है। उनका निवास स्थान सूर्य लोक में हैं। जगत जननी मां कूष्मांडा ब्रह्मांड की रक्षा करती हैं। धार्मिक मत है कि मां कूष्मांडा पूजा-भक्ति से शीघ्र प्रसन्न हो जाती हैं। मां की कृपा से व्रती को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। अगर आप भी मनचाहा वर पाना चाहते हैं, तो चैत्र नवरात्र के चौथे दिन विधि-विधान से मां कूष्मांडा की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें और अंत में ये आरती करें।

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मंत्र

  • ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥
  • सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
  • दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

स्तुति

1. या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

2. या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

3. या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

4. या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

5. या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

6. या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

7. या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

8. या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

ध्यान

वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्॥

भास्वर भानु निभाम् अनाहत स्थिताम् चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्।

कमण्डलु, चाप, बाण, पद्म, सुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम्॥

पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।

मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल, मण्डिताम्॥

प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।

कोमलाङ्गी स्मेरमुखी श्रीकंटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

स्त्रोत

दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दरिद्रादि विनाशनीम्।

जयंदा धनदा कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

जगतमाता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्।

चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

त्रैलोक्यसुन्दरी त्वंहि दुःख शोक निवारिणीम्।

परमानन्दमयी, कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

कवच

हंसरै में शिर पातु कूष्माण्डे भवनाशिनीम्।

हसलकरीं नेत्रेच, हसरौश्च ललाटकम्॥

कौमारी पातु सर्वगात्रे, वाराही उत्तरे तथा,

पूर्वे पातु वैष्णवी इन्द्राणी दक्षिणे मम।

दिग्विदिक्षु सर्वत्रेव कूं बीजम् सर्वदावतु॥

आरती

कूष्माण्डा जय जग सुखदानी।

मुझ पर दया करो महारानी॥

पिङ्गला ज्वालामुखी निराली।

शाकम्बरी माँ भोली भाली॥

लाखों नाम निराले तेरे।

भक्त कई मतवाले तेरे॥

भीमा पर्वत पर है डेरा।

स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥

सबकी सुनती हो जगदम्बे।

सुख पहुँचती हो माँ अम्बे॥

तेरे दर्शन का मैं प्यासा।

पूर्ण कर दो मेरी आशा॥

माँ के मन में ममता भारी।

क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥

तेरे दर पर किया है डेरा।

दूर करो माँ संकट मेरा॥

मेरे कारज पूरे कर दो।

मेरे तुम भंडारे भर दो॥

तेरा दास तुझे ही ध्याए।

भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥

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