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Chaitra Navratri 2024: घटस्थापना के समय करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ, दूर होंगे सभी दुख एवं संताप

शास्त्रों में निहित है कि सतीत्व प्राप्त करने के बाद मां सती का जन्म पर्वतराज हिमालय के घर मां शैलपुत्री के रूप में हुआ था। मां शैलपुत्री वृषभ की सवारी करती हैं। धार्मिक मान्यता है कि मां शैलपुत्री की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। अतः साधक श्रद्धा भाव से मां शैलपुत्री की पूजा करते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 09 Apr 2024 07:00 AM (IST)
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Chaitra Navratri 2024: घटस्थापना के समय करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ, दूर होंगे सभी दुख एवं संताप

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्र के पहले दिन जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की प्रथम शक्ति मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत-उपवास भी रखा जाता है। शास्त्रों में निहित है कि सतीत्व प्राप्त करने के बाद मां सती का जन्म पर्वतराज हिमालय के घर मां शैलपुत्री के रूप में हुआ था। मां शैलपुत्री वृषभ की सवारी करती हैं। धार्मिक मान्यता है कि मां शैलपुत्री की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। अतः साधक श्रद्धा भाव से मां शैलपुत्री की पूजा करते हैं। अगर आप भी मां शैलपुत्री की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो विधि-विधान से मां की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ करें।

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देवी कवच

ओमकार:में शिर: पातुमूलाधार निवासिनी।

हींकार,पातुललाटेबीजरूपामहेश्वरी॥

श्रीकार:पातुवदनेलज्जारूपामहेश्वरी।

हूंकार:पातुहृदयेतारिणी शक्ति स्वघृत॥

फट्कार:पातुसर्वागेसर्व सिद्धि फलप्रदा।

देवी स्तोत्र

वंदे वांच्छितलाभायाचंद्रार्धकृतशेखराम्

वृषारूढांशूलधरांशैलपुत्रीयशस्विनीम्॥

पूणेंदुनिभांगौरी मूलाधार स्थितांप्रथम दुर्गा त्रिनेत्रा।

पटांबरपरिधानांरत्नकिरीटांनानालंकारभूषिता॥

प्रफुल्ल वदनांपल्लवाधरांकांतकपोलांतुंग कुचाम्।

कमनीयांलावण्यांस्मेरमुखीक्षीणमध्यांनितंबनीम्॥

स्तोत्र

प्रथम दुर्गा त्वहिभवसागर तारणीम्।

धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्रीप्रणमाभ्यहम्॥

त्रिलोकजननींत्वंहिपरमानंद प्रदीयनाम्।

सौभाग्यारोग्यदायनीशैलपुत्रीप्रणमाभ्यहम्॥

चराचरेश्वरीत्वंहिमहामोह विनाशिन।

भुक्ति, मुक्ति दायनी,शैलपुत्रीप्रणमाभ्यहम्॥

चराचरेश्वरीत्वंहिमहामोह विनाशिन।

भुक्ति, मुक्ति दायिनी शैलपुत्रीप्रणमाभ्यहम् ॥

शिव स्तोत्र

चाम्पेयगौरार्धशरीरकायै कर्पूरगौरार्धशरीरकाय ।

धम्मिल्लकायै च जटाधराय नम: शिवायै च नम: शिवाय ॥

कस्तूरिकाकुंकुमचर्चितायै चितारजः पुंजविचर्चिताय ।

कृतस्मरायै विकृतस्मराय नम: शिवायै च नम: शिवाय ॥

चलत्क्वणत्कंकणनूपुरायै पादाब्जराजत्फणीनूपुराय ।

हेमांगदायै भुजगांगदाय नम: शिवायै च नम: शिवाय ॥

विशालनीलोत्पललोचनायै विकासिपंकेरुहलोचनाय ।

समेक्षणायै विषमेक्षणाय नम: शिवायै च नम: शिवाय ॥

मन्दारमालाकलितालकायै कपालमालांकितकन्धराय ।

दिव्याम्बरायै च दिगम्बराय नम: शिवायै च नम: शिवाय ॥

अम्भोधरश्यामलकुन्तलायै तडित्प्रभाताम्रजटाधराय ।

निरीश्वरायै निखिलेश्वराय नम: शिवायै च नम: शिवाय ॥

प्रपंचसृष्ट्युन्मुखलास्यकायै समस्तसंहारकताण्डवाय ।

जगज्जनन्यैजगदेकपित्रे नम: शिवायै च नम: शिवाय ॥

प्रदीप्तरत्नोज्ज्वलकुण्डलायै स्फुरन्महापन्नगभूषणाय ।

शिवान्वितायै च शिवान्विताय नम: शिवायै च नम: शिवाय ॥

एतत् पठेदष्टकमिष्टदं यो भक्त्या स मान्यो भुवि दीर्घजीवी ।

प्राप्नोति सौभाग्यमनन्तकालं भूयात् सदा तस्य समस्तसिद्धि: ॥

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