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Chaitra Navratri 2024: इसलिए मां दुर्गा कहलाईं आदिशक्ति, जानिए कैसे हुई देवी की उत्पत्ति?

इस साल नवरात्र की शुरुआत 9 अप्रैल से हो रही है। इस दौरान देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग अवतारों की पूजा बेहद भव्य तरीके से होती है। ऐसा कहा जाता है कि नवरात्र के समय मां दुर्गा धरती पर आती हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं जब यह पवित्र समय इतना करीब है तो आइए इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं -

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Thu, 04 Apr 2024 12:52 PM (IST)
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Chaitra Navratri 2024: इसलिए मां दुर्गा कहलाईं आदिशक्ति
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chaitra Navratri 2024: हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण पर्वों में से एक नवरात्र है। यह पर्व देवी दुर्गा को समर्पित है। इस नौ दिवसीय त्योहार को मां के भक्त बेहद प्रेम और उत्साह के साथ मनाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवी की आराधना करने से मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी प्रकार के ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इस साल नवरात्र की शुरुआत 9 अप्रैल, 2024 से हो रही है।

कैसे प्रकट हुईं देवी दुर्गा ?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, राक्षसों का अत्याचार इतना बढ़ गया था कि देवता मदद के लिए ब्रह्मा जी के पास गए और उनसे इस समस्या का हल मांगा। तब ब्रह्मा देव ने बताया कि उन दैत्यों का वध सिर्फ एक कुंवारी कन्या के हाथों से ही हो सकता है। इसके बाद सभी देवताओं ने मिलकर अपने तेज को एक जगह समाहित किया, जिससे मां दुर्गा का जन्म हुआ।

इसलिए मां दुर्गा कहलाईं आदिशक्ति

मां दुर्गा की उत्पत्ति के बाद उन असुरों का वध करने के लिए अपार शक्ति की जरूरत पड़ी, जिसके लिए सभी देवताओं ने योगदान दिया। भगवान शंकर ने अपना त्रिशूल, श्री हरि ने चक्र, हनुमान जी ने गदा, श्री राम ने धनुष, अग्नि ने शक्ति व बाणों से भरे तरकश, वरुण ने दिव्य शंख, प्रजापति ने स्फटिक मणियों की माला, लक्ष्मी जी ने कमल का फूल, इंद्र ने वज्र, शेषनाग ने मणियों से सुशोभित नाग, वरुण देव ने पाश व तीर, ब्रह्माजी ने चारों वेद तथा हिमालय ने देवी को सवारी के लिए सिंह दिया।

इसके साथ ही देवी भगवती को समुद्र से दिव्य वस्त्र, चूड़ामणि, हार, कंगन, पैरों के नूपुर, दो कुंडल और अंगुठियां प्राप्त हुईं। जैसे ही मां ने इन सभी अस्त्र-शस्त्र और अन्य दिव्य वस्तुओं को धारण किया, उनका स्वरूप असुरों में भय पैदा करने वाला था। मां के पास ऐसी शक्तियां थी, जो किसी दूसरे के पास नहीं थी। उनकी अपार शक्तियों का कोई अंत नहीं दिखाई पड़ रहा था। अपनी इस दिव्यता के लिए वे आदिशक्ति कहलाती हैं।

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