Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्र के पहले दिन बन रहे हैं ये 4 अद्भुत संयोग, प्राप्त होगा कई गुना फल
इस वर्ष 09 अप्रैल से लेकर 17 अप्रैल तक चैत्र नवरात्र का पर्व मनाया जाएगा। यह पर्व जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा को समर्पित होता है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा की विशेष पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत-उपवास रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि मां दुर्गा की पूजा-उपासना करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 08 Apr 2024 02:41 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chaitra Navratri 2024: हर वर्ष चैत्र माह की अमावस्या तिथि के अगले दिन से नवमी तिथि तक चैत्र नवरात्र का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष 09 अप्रैल से लेकर 17 अप्रैल तक चैत्र नवरात्र का पर्व मनाया जाएगा। यह पर्व जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा को समर्पित होता है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा की विशेष पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत-उपवास रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि मां दुर्गा की पूजा-उपासना करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। साथ ही घर में सुख-समृद्धि और शांति आती है। ज्योतिषियों की मानें तो चैत्र नवरात्र के पहले दिन एक साथ चार अद्भुत संयोग बन रहे हैं। इन योग में मां दुर्गा की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। आइए जानते हैं-
यह भी पढ़ें: चैत्र नवरात्र का पहला दिन मां शैलपुत्री को है समर्पित, जानें कैसा है इनका स्वरूप
सर्वार्थ सिद्धि योग
चैत्र नवरात्र के पहले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण घटस्थापना के समय यानी सुबह 07 बजकर 32 मिनट से हो रहा है, जो अगले दिन 10 अप्रैल को सुबह 05 बजकर 10 मिनट पर समाप्त होगा। इस योग में मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं सिद्ध होंगी।
अमृत सिद्धि योग
चैत्र नवरात्र के पहले दिन अमृत सिद्धि योग का भी संयोग बन रहा है। ज्योतिष अमृत सिद्धि योग को शुभ कार्यों के लिए उत्तम मानते हैं। इस योग में शुभ कार्य का श्रीगणेश कर सकते हैं। इस योग का निर्माण सुबह 07 बजकर 32 मिनट से हो रहा है, जो अगले दिन 10 अप्रैल को सुबह 05 बजकर 10 मिनट पर समाप्त होगा। इस योग में मां दुर्गा की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।अभिजीत मुहूर्त
चैत्र नवरात्र के पहले दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 57 मिनट से लेकर 12 बजकर 48 मिनट तक है। घटस्थापना हेतु यह शुभ मुहूर्त है। अगर किसी कारणवश ब्रह्म बेला में कलश स्थापना नहीं कर पाते हैं, तो अभिजीत मुहूर्त में घटस्थापना कर सकते हैं।