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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने बताए दिन में सोने के नुकसान, जानने के बाद आज ही छोड़ देंगे ये आदत

नींद लेना हमारी दिनचर्या का एक जरूरी हिस्सा है। सेहत की दृष्टि से भी रोजाना 7 से 8 घंटे की नींद लेना जरूरी बताया गया है। कई लोगों की दिन में सोने की आदत होती है लेकिन आचार्य चाणक्य ने इस आदत को बिल्कुल गलत बताया है। तो चलिए जानते हैं कि चाणक्य ने दिन में सोने के क्या नुकसान बताए हैं।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Tue, 03 Sep 2024 04:55 PM (IST)
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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने बताए दिन में सोने के नुकसान।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आचार्य चाणक्य को भारत के सबसे बुद्धिमान व्यक्तियों के रूप में देखा जाता है। उनकी नीति शास्त्र में बताई गई बातों का लोग आज भी अनुसरण करते हैं। चाणक्य जी ने अपने नीति शास्त्र में व्यक्ति के स्वास्थ्य से जुड़ी कई बातों का भी जिक्र किया है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, कि आचार्य चाणक्य ने दिन में सोने की आदत को क्यों बुरा बताया है।

इन श्लोक में मिलता है वर्णन

  1. न दिवा स्वप्नं कुर्यात्
  2. आयुः क्षयी दिवा निद्रा
आचार्य चाणक्य ने इन दो श्लोक में बताया है कि किस प्रकार दिन में सोना व्यक्ति की सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकता है।

पहले श्लोक का अर्थ - आचार्य चाणक्य पहले श्लोक में कहते हैं कि दिन में सोने से कार्य की हानि होती है। अर्थात इससे व्यक्ति का समय बर्बाद होता है। इसी के साथ दिन में सोने से शरीर में अपच भी बढ़ने लगती है और वायु विकार से संबंधित रोग बढ़ सकते है। चाणक्य के अनुसार, दिन में सोना केवल एक बीमार व्यक्ति और बच्चे के लिए ही सही माना गया है।

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दूसरे श्लोक का अर्थ - दूसरे श्लोक में चाणक्य कहते हैं कि दिन में सोने से व्यक्ति की आयु कम हो सकती है। चाणक्य के अनुसार, सोते वक्त इंसान की सांसे तेज चलने लगती हैं। वहीं यह माना गया है कि हर व्यक्ति को निश्चित सांसे मिलती हुई हैं। इसलिए दिन में सोना आयु में कमी का कारण बन सकता है। ऐसे में व्यक्ति को जिनता हो सके दिन में सोने से बचना चाहिए।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।