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Chanakya Niti: विद्यार्थी के लिए शिक्षा का क्या मोल है, आचार्य चाणक्य से जानिए

Chanakya Niti जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए आचार्य चाणक्य की नीतियों को सबसे उपयोगी माना जाता है। जो व्यक्ति आचार्य चाणक्य द्वारा बताए मर्ग पर चलता और उनकी नीतियों का जीवन में पालन करता है वह कभी भी समस्याओं का सामना नहीं करता है।

By Shantanoo MishraEdited By: Updated: Sat, 19 Nov 2022 09:44 PM (IST)
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Chanakya Niti: चाणक्य नीति के इस ज्ञान का करें पालन।
नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क | Chanakya Niti: शिक्षा व्यक्ति के जीवन का एक अभिन्न अंग है। बिना शिक्षा के व्यक्ति कभी भी सफलता नहीं पा सकता है। आचार्य चाणक्य ने भी शिक्षा को सबसे शीर्ष दर्जा दिया है। उन्होंने चाणक्य नीति के माध्यम से अनगिनत युवाओं को यह समझाया है कि व्यक्ति को विद्या ग्रहण करने से क्या-क्या लाभ मिलता है। बता दें कि आचार्य चाणक्य की गणना विश्व के श्रेष्ठतम विद्वानों में की जाती है। उनके ही नेतृत्व में चंद्रगुप्त मौर्य ने मगध में मौर्य वंश की स्थापना की थी और धनानंद का अहंकार तोड़ा था। इसके साथ आज भी चाणक्य नीति को न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी पढ़ा जाता है। चाणक्य नीति के इस भाग में आइए जानते हैं कि विद्यार्थी को शिक्षा के प्रति कितना जागरूक रहना चाहिए।

विद्यार्थियों को आचार्य चाणक्य ने दिया है यह ज्ञान (Chanakya Niti in Hindi)

रूपयौवनसंपन्ना विशाल कुलसम्भवाः।

विद्याहीना न शोभन्ते निर्गन्धा इव किंशुकाः।।

इस श्लोक में आचार्य चाणक्य ने बताया है कि व्यक्ति कितना ही सुंदर क्यों ना हो, उसका संपन्न यौवन क्यों ना हो, वह उत्तम कुल में पैदा हुआ हो। लेकिन उसके पास अगर शिक्षा नहीं है और वह विद्या से हीन है तो वह सुगंध रहित किंशुक फूल की भांति किसी भी रूप में शोभा नहीं देता है। इसलिए व्यक्ति को हमेशा शिक्षा का अर्जन करना चाहिए और मौका मिलने पर उसका सदुपयोग भी करना चाहिए। ऐसे ही व्यक्ति को सफलता प्राप्त होती है और समाज में उसे मान-सम्मान मिलता है।

विद्वान् प्रशस्यते लोके विद्वान् गच्छति गौरवम्।

विद्या लभते सर्वं विद्या सर्वत्र पूज्यते।।

चाणक्य नीति के इस श्लोक में बताया गया है कि विद्वान व्यक्ति संसार में खूब प्रशंसा कमाते हैं। साथ ही उन्हें गौरव की प्राप्ति भी होती है। केवल विद्या से ही सब कुछ प्राप्त होता है और सभी जगह विद्या की ही सभी पूजा की जाती है। इसलिए समाज में पूजनीय अर्थात विद्वान बनने के लिए शिक्षा का अर्जन करना सबसे जरूरी है। विद्या से न केवल धन व ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, बल्कि इससे सम्मान भी मिलता है। साथ ही कुल का नाम भी ऊंचा होता है। इसलिए विद्या अर्जित करने से व्यक्ति को कभी भी पीछे नहीं हटना चाहिए।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।