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Chanakya Niti: कलिकाल में इतने वर्षों बाद भगवान विष्णु और ग्राम देवता लौट जाएंगे अपने लोक

तत्कालीन समय में आचार्य चाणक्य चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। मौर्य साम्राज्य की स्थापना में आचार्य चाणक्य ने अहम भूमिका निभाई थी। उनके वचनों को अंतिम शब्द मानकर चन्द्रगुप्त मौर्य महान सम्राट बनें। अपनी गुप्त नीतियों के लिए प्रसिद्ध आचार्य चाणक्य ने भविष्य की भी गणना की है। उन्होंने अपनी रचना नीति शास्त्र में यह बताया है कि कलयुग में कब पृथ्वी पर प्रलय आ सकता है?

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sat, 30 Mar 2024 08:22 PM (IST)
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Chanakya Niti: कलिकाल में इतने वर्षों बाद भगवान विष्णु और ग्राम देवता लौट जाएंगे अपने लोक

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य नीति शास्त्र और अर्थशास्त्र रचना के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। तत्कालीन समय में आचार्य चाणक्य चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। मौर्य साम्राज्य की स्थापना में आचार्य चाणक्य ने अहम भूमिका निभाई थी। उनके वचनों को अंतिम शब्द मानकर चन्द्रगुप्त मौर्य महान सम्राट बनें। आचार्य चाणक्य के विचार आज भी प्रासंगिक हैं। अपनी गुप्त नीतियों के लिए प्रसिद्ध आचार्य चाणक्य ने भविष्य की भी गणना की है। उन्होंने अपनी रचना नीति शास्त्र में यह बताया है कि कलयुग में कब पृथ्वी पर प्रलय आ सकता है? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

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कलौ दशसहस्त्रेषु हरिस्त्यजति मेदिनीम् ।

तदर्द्ध जाह्नवीतोयं तदर्द्ध ग्रामदेवता ।।

आचार्य चाणक्य अपनी रचना नीति शास्त्र के 11 वें अध्याय के चौथे श्लोक में कहते हैं कि दस हजार वर्ष पूरा होने के बाद जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु धरती छोड़कर या त्यागकर अपने लोक चले जाएंगे। ठीक उसी प्रकार पांच हजार वर्ष पूरा होने के बाद मां गंगा भी धरती त्याग कर चली जाएंगी। वहीं, ढाई हजार वर्ष पूरा होने के बाद ग्राम देवता भी गांव का त्याग कर देंगे। आसान शब्दों में कहें तो कुल की देवी और देवता ढाई हजार वर्ष पूरा होने के बाद धरती से चले जाएंगे।

कुछ जानकार आचार्य चाणक्य की नीति पर विवेचना कर कहते हैं कि शायद चाणक्य शेष वर्ष की गणना कर जानकारी दी है। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि जब कलयुग का दस हजार वर्ष शेष रह जाएंगे, तब भगवान विष्णु भूलोक से अपने लोक चले जाएंगे। वर्तमान समय में कुल देवी-देवता की पूजा पूर्व काल समान नहीं हो रही है। इसका तात्पर्य यह है कि आचार्य चाणक्य की बात तर्क संगत है।

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डिसक्लेमर- 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'