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Chanakya Niti: साल 2024 में नीति शास्त्र के इन 5 गुणों का कर लें आत्मसात, चमक उठेगा सोया हुआ भाग्य

अंक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह वर्ष बेहद शुभ रहने वाला है। ज्योतिषियों का कहना है कि 24 अंक बेहद शुभ होता है। इसका प्राप्तांक 6 है। गिनती की संख्या 6 के स्वामी सुखों के कारक शुक्र देव हैं। धन की देवी मां लक्ष्मी को भी 6 अंक प्रिय है। अतः साल 2024 बेहद शुभ रहने वाला है। इस वर्ष लोगों को सभी क्षेत्रों में विशेष सफलता प्राप्त होगी।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarPublished: Tue, 02 Jan 2024 02:32 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jan 2024 02:32 PM (IST)
Chanakya Niti: साल 2024 में नीति शास्त्र के इन 5 गुणों का कर लें आत्मसात, चमक उठेगा सोया हुआ भाग्य

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chanakya Niti: साल 2024 की शुरुआत हो चुकी है। अंक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह वर्ष बेहद शुभ रहने वाला है। ज्योतिषियों का कहना है कि 24 अंक बेहद शुभ होता है। इसका प्राप्तांक 6 है। गिनती की संख्या 6 के स्वामी सुखों के कारक शुक्र देव हैं। धन की देवी मां लक्ष्मी को भी 6 अंक प्रिय है। अतः साल 2024 बेहद शुभ रहने वाला है। इस वर्ष लोगों को सभी क्षेत्रों में विशेष सफलता प्राप्त होगी। अगर आप भी साल 2024 में अपने जीवन को नया आयाम देना चाहते हैं, तो आचार्य चाणक्य की इन 5 बातों को जरूर आत्मसात कर लें। इन बातों का ध्यान में रखने से आप पर परम पिता परमेश्वर की कृपा अवश्य बरसेगी। आइए जानते हैं-

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चाणक्य की 5 बातें

  • आचार्य चाणक्य अपनी रचना नीति शास्त्र के सातवें अध्याय के 20वें श्लोक में कहते हैं कि सफल होने और ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए 5 बातों का ध्यान रखना अनिवार्य है। इनमें प्रथम वाणी की पवित्रता है। कबीर जी भी गुरु वाणी में कहते हैं कि व्यक्ति को मधुरभाषी होना चाहिए। इससे व्यक्ति स्वयं भी खुश रहता है। साथ ही अन्य लोगों को भी खुश रखता है। अतः वाणी पवित्र रखें।
  • दूसरा मन की शुद्धि है। आचार्य चाणक्य की मानें तो विचार को हमेशा शुद्ध रखना चाहिए। शुद्ध हृदय में प्रभु का वास होता है। ऐसे लोगों पर परम पिता परमेश्वर की कृपा अवश्य बरसती है।
  • तीसरा इन्द्रियों का संयम है। व्यक्ति 5 कर्मेन्द्रियों और 5 ज्ञानेन्द्रियों से बंधा है। ये इन्द्रियां विषय भोग में आसक्त रहते हैं। अतः जीवन में सफल होने के लिए इन्द्रियों का संयम अनिवार्य है।
  • चौथा प्राणिमात्र पर दया है। अगर आप ईश्वर की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो प्राणिमात्र के प्रति दया का भाव रखें। साथ ही सबका सम्मान करें। वहीं, अंतिम धन की पवित्रता है। गलत तरीके से धन अर्जन न करें। इससे आने वाली पीढ़ी के लोगों को दुख भोगना पड़ता है।

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डिसक्लेमर- 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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