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Chanakya Niti: चाणक्य नीति से जानिए पिता और पुत्र के बीच में संबंध कैसे होने चाहिए?

Chanakya Niti चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य ने सफलता प्राप्त करने के कई विशेष गुणों को बताया है। साथ ही यह भी बताया है कि जीवन में व्यक्ति को किन-किन बातों का ध्यान रखकर जीवन यापन करना चाहिए। चाणक्य नीति में यह भी बताया है कि पुत्र के सफल जीवन के लिए पिता और पुत्र के बीच में संबंध कैसे होने चाहिए।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Wed, 09 Aug 2023 07:46 PM (IST)
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Chanakya Niti: चाणक्य नीति से जानिए जीवन में सफलता प्राप्त करने का रहस्य।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की गणना विश्व के श्रेष्ठतम विद्वानों में की जाती है। उनके द्वारा रचित चाणक्य नीति को आज भी कई युवाओं द्वारा पढ़ा और सुना जाता है। चाणक्य नीति के माध्यम से कई युवा जीवन में सफलता प्राप्त प्राप्त करते हैं। इसलिए चाणक्य नीति को जीवन दर्पण भी कहा जाता है। आचार्य कौटिल्य की नीतियों में कई ऐसे गुण छिपे हुए हैं, जिनका पालन करने से व्यक्ति कई विषम परिस्थितियों को आसानी से पार कर लेता है।

ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति आचार्य चाणक्य की बातों का ध्यान रखकर कार्य करता है, उन्हें कभी भी असफलता का मुख नहीं देखना पड़ता है। चाणक्य नीति के इस भाग में हम ऐसे ही एक विषय पर बात करेंगे और जानेंगे कि पिता और पुत्र के बीच में संबंध कैसा होना चाहिए, जिससे पुत्र के उज्जवल भविष्य का सपना पूरा हो सके।

चाणक्य नीति ज्ञान

लालयेत् पंचवर्षाणि दशवर्षाणि ताडयेत् ।

प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत् ।।

अर्थात- पुत्र का 5 वर्ष तक लालन करना चाहिए। 10 वर्ष तक तारण करना चाहिए। 16 वर्ष में उसके साथ मित्र के समान व्यवहार करना चाहिए।

इस नीति के माध्यम सेआचार्य चाणक्य ने बताया है कि व्यक्ति को अपने पुत्र के साथ समय-समय पर कैसा व्यवहार करना चाहिए? यदि पुत्र 5 वर्ष या उससे कम का है तो उसे भरपूर प्रेम देना चाहिए और कटु व्यवहार व बातों से दूर रखना चाहिए। इस दौरान व्यक्ति का व्यवहार बहुत ही मधुर होना चाहिए। इसके बाद 10 वर्ष तक पुत्र का तारण करना चाहिए। यहां तरण शब्द का अर्थ देखभाल से है यानी उसकी हर चीज पर पिता की नजर होनी चाहिए। जब पुत्र 16 वर्ष की आयु का हो जाए तब उसके साथ मित्र के समान व्यवहार करना चाहिए और जीवन की सभी महत्वपूर्ण बातों को साझा करना चाहिए। ऐसा करने से पुत्र के उज्जवल भविष्य का सपना पूरा हो सकता है।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।