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Chanakya Niti: कभी आगे नहीं बढ़ पाते हैं ये ये 4 तरह के लोग, जीवन भर रहते हैं दुखी और परेशान

आचार्य चाणक्य अपनी रचना नीति शास्त्र के दसवें अध्याय के चौदहवें श्लोक में कहते हैं कि जिनकी माता ममता की मूर्ति मां लक्ष्मी हैं और पिता जगत के पालनहार भगवान विष्णु हैं और उनके भक्त भाई-बहन हैं वे लोग भूलोक में ही स्वर्ग समान सुख प्राप्त करते हैं। ऐसे लोग अपने जीवन में खूब तरक्की करते हैं। साथ ही मृत्यु उपरांत भगवत्-धाम जाते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 02 Apr 2024 08:11 PM (IST)
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Chanakya Niti: कभी आगे नहीं बढ़ पाते हैं ये ये 4 तरह के लोग

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chanakya Niti: चन्द्रगुप्त मौर्य के समकालीन आचार्य चाणक्य महान राजनीतिज्ञ और कूटनीतिज्ञ थे। तत्कालीन समय में उन्होंने भारत की सीमा का व्यापक विस्तार किया। इसके लिए उन्हें कौटिल्य भी कहा जाता है। उनकी सहायता से चन्द्रगुप्त ने मौर्य साम्राज्य की स्थापना की। आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र और अर्थशास्त्र की रचना की है। नीति शास्त्र में आचार्य चाणक्य ने जीवन भर दुखी रहने वाले लोगों के बारे में बताया है। इन लोगों के बारे में आचार्य चाणक्य का कहना है कि ये लोग अपने जीवन में कभी तरक्की और उन्नति नहीं कर पाते हैं। आइए, इन लोगों के बारे में विस्तार से जानते हैं-

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आत्मद्वेषात् भवेन्मृत्यु: परद्वेषात् धनक्षय:।

राजद्वेषात् भवेन्नाशो ब्रह्मद्वेषात् कुलक्षय:।।

आचार्य चाणक्य अपनी रचना नीति शास्त्र के दसवें अध्याय के ग्याहरवें श्लोक में कहते हैं कि जो व्यक्ति अपनी आत्मा से द्वेष भाव रखता है, उस व्यक्ति का नाश अवश्य होता है। इस बारे में उनका मानना है कि आत्मा अजन्मा और नश्वर है। अतः आत्मा से द्वेष भाव नहीं रखना चाहिए। इसी प्रकार दूसरे के धन के प्रति द्वेष भाव रखने वाले लोग अपने जीवन में कभी तरक्की नहीं कर पाते हैं। इस क्रम में तीसरे नंबर पर ऐसे लोग हैं, जो राजा से वैर भाव रखते हैं, उनका नाश निश्चित होता है। ऐसे लोग भी हमेशा दुखी रहते हैं। जबकि, ब्राह्मणों से द्वेष रखने वाले लोगों का कुल नाश हो जाता है।

माता च कमला देवी पिता देवो जनार्दनः।

बान्धवा विष्णुभक्ताश्च स्वदेशो भुवनत्रयम्॥

इसी अध्याय के चौदहवें श्लोक में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिनकी माता ममता की मूर्ति मां लक्ष्मी हैं और पिता जगत के पालनहार भगवान विष्णु हैं और उनके भक्त भाई-बहन हैं, वे लोग भूलोक में ही स्वर्ग समान सुख प्राप्त करते हैं। ऐसे लोग अपने जीवन में खूब तरक्की करते हैं। साथ ही मृत्यु उपरांत भगवत्-धाम जाते हैं।

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डिस्क्लेमर-''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'