Chanakya Niti: ये 4 प्रकार के लोग जीवन भर रहते हैं गरीब, कभी नहीं कर पाते हैं तरक्की
आचार्य चाणक्य ने अपनी रचना नीति शास्त्र में सफल होने के लिए विस्तारपूर्वक जानकारी दी है। सामान्य व्यक्ति नीति शास्त्र का अनुसरण कर अपने जीवन में सफल हो सकता है। धर्म पथ से भटकने वाले लोग जीवन में हमेशा दुखी रहते हैं। ऐसे लोग अपने जीवन में कभी तरक्की नहीं कर पाते हैं। इसके लिए जीवन में सही कर्म करना चाहिए।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 13 Nov 2024 03:56 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आचार्य चाणक्य अपनी नीतियों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। उनकी नीतियों का पालन कर व्यक्ति अपने जीवन में शीघ्र सफल हो सकता है। प्राचीन समय में चन्द्रगुप्त मौर्य ने आचार्य चाणक्य के आदेशों का पालन कर अखंड भारत का निर्माण किया था। आसान शब्दों में कहें तो आचार्य चाणक्य ने अखंड भारत के निर्माण में अहम भूमिका निभाई थी। वर्तमान समय में भी आचार्य चाणक्य के विचार प्रासंगिक हैं। आचार्य चाणक्य की मानें तो कुछ लोग अपने कर्मों के चलते जीवन भर दुखी रहते हैं। ऐसे लोग चाहकर भी जीवन में तरक्की नहीं कर पाते हैं। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
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मूर्खशिष्योपदेशेन दुष्टास्त्रीभरणेन च।
मूर्खशिष्योपदेशेन दुष्टास्त्रीभरणेन च।
दु:खिते सम्प्रयोगेण पण्डितोऽप्यवसीदति।।आचार्य चाणक्य अपनी रचना नीति शास्त्र के प्रथम अध्याय के चौथे श्लोक में कहते हैं। चार प्रकार के लोग जीवन में हमेशा गरीब और दुखी रहते हैं। चाहकर भी सुखी नहीं रह पाते हैं। ऐसे लोग पशु समान जीवन व्यतीत करते हैं। इनमें सबसे पहले स्थान पर ऐसे गुरु हैं, जो मूर्ख शिष्य को उपदेश देते हैं। मूर्ख शिष्य ज्ञान का गलत इस्तेमाल कर गुरु को ही दुख देते हैं। इसके लिए कभी मूर्ख को ज्ञान नहीं देना चाहिए।
वहीं, दूसरे स्थान पर ऐसे लोग हैं, जो व्यभिचारी होते हैं। पराई स्त्री के साथ रतक्रिया करने वाले लोग न केवल पाप के भागी होते हैं, बल्कि कई प्रकार की बीमारियों को भी दावत देते हैं। अतः व्यभिचारी लोग भी जीवन भर दुखी रहते हैं। भगवान श्रीकृष्ण भी गीता उपदेश के दौरान अपने परम शिष्य अर्जुन से कहते हैं कि व्याभिचार करने वाले लोगों के वंश का पतन एक दिन अवश्य ही होता है। इसके लिए चरित्रहीन कार्य बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
आचार्य चाणक्य ऐसे लोगों से भी दूर रहने की सलाह देते हैं, जो कई प्रकार की गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं। आसान शब्दों में कहें तो गलत हरकतों की वजह से रोगग्रस्त लोगों के संपर्क में रहने वाले लोग भी जीवन भर दुखी रहते हैं। धनहीन लोगों की संगति रखने वाले लोग भी जीवन भर दुखी रहते हैं। अतः चार प्रकार के लोग जीवन भर दुखी रहते हैं। ऐसे लोग अपने जीवन में न केवल गरीब रहते हैं, बल्कि पाप के भी भागी बनते हैं। आचार्य चाणक्य सही कर्म कर धन अर्जन करने की सलाह देते हैं।
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