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Chanakya Niti: इन 5 जगहों पर रहने वाले लोग हमेशा रहते हैं गरीब, कभी नहीं करते हैं तरक्की

आचार्य चाणक्य मौर्य काल के समकालीन थे। उनके वचनों का पालन कर मगध नरेश चन्द्रगुप्त ने मौर्य साम्राज्य की स्थापना की थी। साथ ही अपने राज्य का विस्तार किया। कई अन्य राजाओं ने आचार्य चाणक्य की नीतियों का पालन किया। इससे उन्हें सफलता पाने में सहायता मिली। वर्तमान समय में भी लोग आचार्य चाणक्य की नीतियों (Chanakya Niti) का पालन करने की सलाह देते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 14 Nov 2024 06:05 PM (IST)
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Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य के अनमोल विचार
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आचार्य चाणक्य की रचना नीति शास्त्र दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। नीति शास्त्र में आचार्य चाणक्य ने सभी बिंदुओं पर बात की है। इस शास्त्र में सफल होने के भी टिप्स बताए गए हैं। सामान्य व्यक्ति नीति शास्त्र (Chanakya Niti) का अनुसरण कर अपने जीवन में सफल हो सकता है। आचार्य चाणक्य की मानें तो कई व्यक्ति जीवन भर गरीब रहते हैं। इसके कई कारण हैं। इनमें कर्म प्रथम स्थान पर है। अगर व्यक्ति कर्मशील नहीं रहता है, तो विकास करना कठिन होता है। वहीं, गलत जगहों पर रहने से भी व्यक्ति अपने जीवन में तरक्की और उन्नति नहीं कर पाता है। आइए, इन जगहों के बारे में जानते हैं-

धनिकः श्रोत्रियो राजा नदी वैद्यस्तु पञ्चमः।

पञ्च यत्र न विद्यन्ते न तत्र दिवसे वसेत ॥

आचार्य चाणक्य अपनी रचना नीति शास्त्र के प्रथम अध्याय के नौवें श्लोक में कहते हैं। पांच जगहों पर रहने वाले लोग जीवन में हमेशा गरीब और दुखी रहते हैं। ऐसे लोग चाहकर भी तरक्की और उन्नति नहीं कर पाते हैं। ये लोग लंपट मूर्ख समान जीवन व्यतीत करते हैं। इन्हें न शास्त्र का ज्ञान रहता है और न ही ये सीखने की कोशिश करते हैं।

  • आचार्य चाणक्य के अनुसार, जिस स्थान पर वेदों को जानने वाला ब्राह्मण निवास नहीं करते हैं। ऐसे जगह पर रहने वाले लोग हमेशा गरीब रहते हैं। अतः इस जगह का त्याग कर देना चाहिए। ब्राह्मण धार्मिक कार्य द्वारा धर्म की रक्षा करते हैं।
  • धनिक यानी कारोबार- जिस स्थान पर कारोबार करने वाले लोग नहीं रहते हैं। उस जगह के लोग भी अपने जीवन में निर्धन बनकर जीवन व्यतीत करते हैं। ऐसे स्थान का भी त्याग कर देना चाहिए।
  • जिस स्थान पर प्रतापी राजा नहीं होता है। वहां, शासन व्यवस्था नहीं रहती है। इससे अराजकता फैल जाती है। अतः ऐसे स्थान पर रहकर कोई विकास नहीं कर सकता है। अगर कर भी लेता है, तो धन की चोरी हो जाती है।
  • जल ही जीवन है। इसका अर्थ यह है कि जिस जगह पर नदी नहीं है। उस स्थान पर रहना सही नहीं है। नदी के बिना जीवन कठिन है। जल जीवन और सिंचाई दोनों के लिए आवश्यक है।
  • आचार्य चाणक्य की मानें तो जिस स्थान पर वैद्य यानी डॉक्टर नहीं है। उस जगह पर रहना श्रेष्ठकर नहीं है। किसी भी साध्य या असाध्य रोग से छुटकारा पाने के लिए इलाज अनिवार्य है। बिना डॉक्टर के ये संभव नहीं है। अतः इन 5 जगहों का त्याग कर देना चाहिए।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।