Chanakya Niti: धरती पर स्वर्ग समान सुख प्राप्त करते हैं ऐसे लोग, जीवन भर रहते हैं प्रसन्न
आचार्य चाणक्य अपनी रचना नीति शास्त्र के बारहवें अध्याय के 13वें श्लोक में कहते हैं- जो व्यक्ति पराई स्त्री को माता समान देखता है दूसरे के धन को पत्थर या ढेले समान देखता है और धरती पर उपस्थित सभी प्राणियों को अपनी आत्मा के समान देखता है ऐसे व्यक्ति को धरती पर ही स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 09 Apr 2024 05:34 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chanakya Niti: सनातन धर्म में मोक्ष का विधान या वर्णन है। मोक्ष का तात्पर्य जन्म-मरण के चक्र से मुक्त होना है। पवित्र ग्रंथ 'गीता' में जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण अपने प्रिय शिष्य अर्जुन से कहते हैं- हे पार्थ! सत्य कार्य करने वाले, सत्य पर चलने वाले, माता-पिता की सेवा करने वाले, ईश्वर भक्ति करने वाले और ज्ञान अर्जन करने वाले साधक मुझे अति प्रिय है। ऐसे भक्तों को मृत्यु उपरांत मोक्ष की अवश्य ही प्राप्ति होती है। आचार्य चाणक्य ने भी अपनी रचना नीति शास्त्र में धर्म और कर्म पर विस्तार से वर्णन किया है। आचार्य चाणक्य की मानें तो धर्म पथ पर चलने वाले व्यक्ति को धरती पर ही स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है। ऐसे लोगों में कई विशेष गुण पाए जाते हैं। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
मातृवत् परदारांश्च परद्रव्याणि लोष्ठवत्।
आत्मवत् सर्वभूतानि यः पश्यति स पश्यति॥
आचार्य चाणक्य अपनी रचना नीति शास्त्र के बारहवें अध्याय के 13वें श्लोक में कहते हैं- जो व्यक्ति पराई स्त्री को माता समान देखता है, दूसरे के धन को पत्थर या ढेले समान देखता है और धरती पर उपस्थित सभी प्राणियों को अपनी आत्मा के समान देखता है, ऐसे व्यक्ति को धरती पर ही स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है। नारायण की कृपा से ऐसे लोग धरती पर सर्वश्रेष्ठ और बुद्धिमान बनते हैं। इसके अगले श्लोक में आचार्य चाणक्य ने सज्जन पुरुष के बारे में बताया है।
आचार्य चाणक्य की मानें तो मीठा बोलने वाले, धर्म और कर्म करने वाले, दान देने वाले, गुरु के प्रति सम्मान और नम्रता रखने वाले, ह्रदय से गंभीर रहने वाले, आचरण में पवित्रता और परम पिता परमेश्वर की भक्ति करने वाले लोग ही सज्जन पुरुष होते हैं। ऐसे लोग भगवान कृष्ण को भी प्रिय होते हैं।यह भी पढ़ें: नरक का दुख भोगकर धरती पर जन्मे लोगों में पाए जाते हैं ये चार अवगुण
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