Chanakya Niti: ये 3 तरह के लोग जीवन भर रहते हैं धनी, हमेशा मिलती है सफलता
धर्म शास्त्रों की मानें तो व्यक्ति को कर्मों के अनुसार फल प्राप्त होता है। कई अवसर पर पूर्वजन्मों एवं पूर्वजों के आशीर्वाद से भी विशेष फल प्राप्त होता है। ज्योतिषियों की मानें तो कुंडली में ग्रह स्थिति अनुकूल न होने पर जातक को जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। आचार्य चाणक्य ने भी नीति शास्त्र (Chanakya Niti for success) में कर्म को वरीयता दी है।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 21 Nov 2024 05:11 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आचार्य चाणक्य की नीतियां आज भी प्रासंगिक हैं। सामान्य व्यक्ति भी चाणक्य की नीतियों का पालन कर अपने जीवन में सफल हो सकता है। आचार्य चाणक्य चन्द्रगुप्त मौर्य के समकालीन थे। उन्होंने नंद वंश के पतन में अहम भूमिका निभाई थी। वहीं, अखंड भारत के निर्माण में भी चाणक्य का महत्वपूर्ण योगदान रहा था। इतिहासकारों की मानें तो आचर्य चाणक्य की नीतियों के चलते मौर्य साम्राज्य ने लंबे समय तक मगध पर राज किया। आचार्य चाणक्य ने कई महत्वपूर्ण रचना की है। इनमें नीति शास्त्र बेहद प्रसिद्ध है। आचार्य चाणक्य अपनी रचना नीति शास्त्र में कहते हैं कि तीन तरह के लोग धरती पर स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति करते हैं। अपने जीवन में हमेशा तरक्की करते हैं। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
'यस्य पुत्रो वशीभूतो भार्या छन्दानुगामिनी।
विभवे यश्च सन्तुष्टस्तस्य स्वर्ग इहैव हि'।।
- आचार्य चाणक्य अपनी रचना नीति शास्त्र के दूसरे अध्याय के तीसरे श्लोक में कहते हैं कि तीन तरह के लोग अपने जीवन में हमेशा सुखी एवं धनी रहते हैं। ये अपने जीवन में हमेशा सफल होते हैं और खूब तरक्की करते हैं। दुख इनकों कभी छू नहीं पाती है। इनके घर-परिवार में हमेशा सुख और शांति बनी रहती है। वहीं, धन और वंश में वृद्धि होती रहती है।
- आचार्य चाणक्य आगे कहते हैं कि भूलोक पर जिस पिता का पुत्र उनके वश में होता है। ऐसे पिता को धरती लोक पर ही स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है। वर्तमान समय में पिता और पुत्र के मध्य आज्ञा का बोध नहीं रह गया है। ऐसे पिता किस्मत वाले हैं, जिनके पुत्र उनकी हर बात मानते हैं और उनके वश में रहते हैं।
- आचार्य चाणक्य की मानें तो जिस व्यक्ति को आज्ञाकारी पत्नी मिलती है। वह व्यक्ति धनी है। उसे धरती लोक पर सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। ऐसे लोग बड़े किस्मत वाले होते हैं। पति-पत्नी के मध्य मधुर संबंध रहने से घर में सुख, शांति एवं समृद्धि बनी रहती है।
- इस श्लोक के अंत में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि ईश्वर द्वारा प्रदत्त धन में संतुष्ट रहने वाला व्यक्ति हमेशा सुखी एवं धनी रहता है। ऐसे लोगों को जीवन में कभी दुखों का सामना नहीं करना पड़ता है। वहीं, मानसिक वेदना भी नहीं रहती है।
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