Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य के अनुसार ये आदतें बनती हैं दुखों का कारण, जिंदगीभर परेशान रहते हैं ऐसे लोग
भारत के श्रेष्ठ विद्वानों में एक आचार्य चाणक्य को कूटनीतिज्ञ राजनीतिज्ञ रणनीतिकार का भी वृहद ज्ञान था। साथ ही उन्हें अर्थशास्त्र और नीति शास्त्र का जनक भी कहा जाता है। चाणक्य नीति असल में जीवन को सरल और सफल बनाने का एक शास्त्र है। जो व्यक्ति इसमें लिखी बातों को अपनाता है वह जीवन में सफलता हासिल कर सकता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chanakya Niti Tips: आचार्य चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में ऐसी कई बातें बताई हैं, जिनके द्वारा कोई व्यक्ति अपने जीवन को सवार सकता है। वहीं, चाणक्य जी ने कुछ ऐसी आदतें भी बताते हैं, जिनके होने पर व्यक्ति को जीवन में कई तरह के दुख झेलने पड़ सकते हैं। ऐसे में इन आदतों को तुरंत ही छोड़ देना चाहिए, वरना नुकसान उठाना पड़ सकता है। आइए जानते हैं इन आदतों के बारे में।
न बताएं गुप्त बातें
कई लोगों को आदत होती है, कि वह किसी बात को राज नहीं रख पाते। इस विषय में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अपनी गुप्त बातें दूसरों को बताने से व्यक्ति को भविष्य में कई तरह के नकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं। इसके साथ ही कभी ऐसे व्यक्ति पर भी भरोसा न करें, जो विश्वास का पात्र न हो और न ही उसे अपनी गुप्त बातें बताएं। क्योंकि ऐसा करने पर व्यक्ति को जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
इन बातों का रखें ध्यान
कई लोगों की ये आदत भी होती है, कि वह बिना सोचे समझे धन खर्च करने लगते हैं। कई लोग गलत कार्यों के लिए धन का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे लोगों को जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसके साथ ही गुस्सा करने की आदत भी व्यक्ति के लिए हानिकारक हो सकती है।यह भी पढ़ें - Vastu Tips for Money Plant: मनी प्लांट चुराकर लगाना चाहिए या नहीं, जानिए क्या कहता है वास्तु शास्त्र
ये बनता है दुखों का कारण
आचार्य चाणक्य के अनुसार, जो व्यक्ति भेदभाव की भावना से ग्रस्त होता है, वह जीवन में कभी तरक्की नहीं कर सकता। ऐसे में व्यक्ति को यह आदत तुरंत ही छोड़ देनी चाहिए। रखनी चाहिए। क्योंकि ऐसे व्यक्ति में अभिमान पैदा हो जाता है, जिससे वह व्यक्ति जीवन में कभी भी संतुष्ट नहीं रह पाता है।डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'