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Chandra Grahan 2022: क्या होता है सूतक? जानें इसका अर्थ और इससे जुड़े जरूरी नियम

Chandra Grahan 2022 इस वर्ष का अंतिम चंद्र ग्रहण 8 नवम्बर को लगने जा रहा है। भारत में ग्रहण दिखने के कारण यहां भी इसका प्रभाव पड़ेगा। साथ ही इस दौरान व्यक्ति को सूतक काल का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

By Shantanoo MishraEdited By: Updated: Tue, 08 Nov 2022 10:27 AM (IST)
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Chandra Grahan 2022 जानिए, क्या होता है सूतक काल और क्या है इसके नियम?

नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क | Chandra Grahan 2022, Sutak Kaal: चंद्र ग्रहण को महत्वपूर्ण खगोलीय घटनाओं में गिना जाता है। इस वर्ष का अंतिम चंद्र ग्रहण आज यानि 8 नवम्बर (Chandra Grahan 2022 Date) के दिन लगने जा रहा है। बता दें कि चंद्र ग्रहण से 9 से 10 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। शास्त्रों में सूतक काल के संदर्भ में कई नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सूर्य और चंद्र ग्रहण के सूतक काल की अवधि अलग-अलग होती है? साथ इस अवधि में क्यों कई चीजों पर पाबंधी लग जाती है? अगर नहीं! तो आइए जानते हैं।

क्या है सूतक काल? (What is Sutak Kaal)

हर वर्ष सूर्य ग्रहण व चंद्र ग्रहण लगते हैं। ग्रहण लगने से कुछ समय पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। बता दें कि सूतक का अर्थ यह निकला जाता है कि 'वह समय जब पृथ्वी पर प्रकृति संवेदनशील स्तिथि में होती है।' इस अवधि में अनहोनी की आशंका कई गुना बढ़ जाती है। यही कारण है कि शास्त्रों में सूतक काल की अवधि के लिए कुछ नियम बताए गए हैं। जिनका पालन करना व्यक्ति के लिए अनिवार्य होता है। जानकारी के लिए यह भी बता दें कि सूतक शुरू होने की अवधि ग्रहण पर भी निर्भर करती है। अगर सूर्य ग्रहण लग रहा है तो सूतक 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है और यदि चंद्र ग्रहण लगने वाला है तो सूतक काल 9 से 10 घंटे पहले शुरू हो जाता है।

सूतक काल के दौरान रखें इन नियमों का ध्यान (Sutak Kaal Niyam)

  • सूतक के समय पूजा-पाठ पर पाबंधी लग जाती है। शास्त्रों में यहां तक कहा गया है कि सूतक के दौरान भगवान की प्रतिमा को स्पर्श भी नहीं करना चाहिए। इसे दोष की श्रेणी में रखा गया है।

  • इस दौरान गर्भवती महिलाओं का विशेष ध्यान रखना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि छोटी सी गलती से भी अजन्मे बच्चे को ग्रहण के प्रभाव से हानी हो सकती है।

  • सूतक के दौरान भोजन पकाने और ग्रहण करने पर पाबंदी होती है। इस दौरान भोजन पर ग्रहण का अशुभ प्रभाव पड़ता है। लेकिन यह नियम बच्चों, वृद्ध और गर्भवती महिलाओं पर लागु नहीं होती है।

  • सूतक काल के दौरान तुलसी के पौधे को छूने से भी बचना चाहिए। साथ ही ग्रहण को भी नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए।

  • डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।