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Shiv Ji Ki Aarti: सोमवार को पूजा के समय करें इन मंत्रों का जाप और आरती, सभी संकटों से मिलेगी मुक्ति

Shiv Ji Ki Aarti ज्योतिष अविवाहित जातकों को शीघ्र शादी हेतु सोमवार का व्रत रखने की सलाह देते हैं। इस व्रत के पुण्य प्रताप से शीघ्र शादी के योग बनने लगते हैं। इसके अलावा सामान्य साधकों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। अगर आप भी अपने जीवन में व्याप्त दुख और संकट से निजात पाना चाहते हैं तो सोमवार के दिन विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करें।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 08 Jan 2024 08:00 AM (IST)
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Shiv Ji Ki Aarti: सोमवार को पूजा के समय करें इन मंत्रों का जाप और आरती
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shiv Ji Ki Aarti: सनातन धर्म में सोमवार का दिन देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही सोमवार का व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि सोमवार का व्रत करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। ज्योतिष अविवाहित जातकों को शीघ्र शादी हेतु सोमवार का व्रत रखने की सलाह देते हैं। इस व्रत के पुण्य प्रताप से शीघ्र शादी के योग बनने लगते हैं। इसके अलावा, सामान्य साधकों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। अगर आप भी अपने जीवन में व्याप्त दुख और संकट से निजात पाना चाहते हैं, तो सोमवार के दिन विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का जाप करें। वहीं, पूजा के अंत में ये आरती जरूर पढ़ें।

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शिव आवाहन मंत्र

ॐ मृत्युंजय परेशान जगदाभयनाशन ।

तव ध्यानेन देवेश मृत्युप्राप्नोति जीवती ।।

वन्दे ईशान देवाय नमस्तस्मै पिनाकिने ।

नमस्तस्मै भगवते कैलासाचल वासिने ।

आदिमध्यांत रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।।

त्र्यंबकाय नमस्तुभ्यं पंचस्याय नमोनमः ।

नमोब्रह्मेन्द्र रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।।

नमो दोर्दण्डचापाय मम मृत्युम् विनाशय ।।

देवं मृत्युविनाशनं भयहरं साम्राज्य मुक्ति प्रदम् ।

नमोर्धेन्दु स्वरूपाय नमो दिग्वसनाय च ।

नमो भक्तार्ति हन्त्रे च मम मृत्युं विनाशय ।।

अज्ञानान्धकनाशनं शुभकरं विध्यासु सौख्य प्रदम् ।

नाना भूतगणान्वितं दिवि पदैः देवैः सदा सेवितम् ।।

सर्व सर्वपति महेश्वर हरं मृत्युंजय भावये ।।

शिव प्रार्थना मंत्र

करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं श्रावण वाणंजं वा मानसंवापराधं ।

विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ॥

शिव गायत्री मंत्र

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

महामृत्युंजय मंत्र

ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बंधनानमृत्योर्मुक्षीय मामृतात।

महादेव आरती

हर हर हर महादेव !

सत्य, सनातन, सुन्दर, शिव सबके स्वामी।

अविकारी अविनाशी, अज अन्तर्यामी॥

हर हर हर महादेव !

आदि, अनन्त, अनामय, अकल, कलाधारी।

अमल, अरूप, अगोचर, अविचल, अघहारी॥

हर हर हर महादेव !

ब्रह्मा, विष्णु, महेश्वर तुम त्रिमूर्तिधारी।

कर्ता, भर्ता, धर्ता, तुम ही संहारी॥

हर हर हर महादेव !

रक्षक, भक्षक, प्रेरक, प्रिय औढरदानी।

साक्षी, परम अकर्ता, कर्ता अभिमानी॥

हर हर हर महादेव !

मणिमय-भवन निवासी, अति भोगी रागी।

सदा श्मशान विहारी, योगी वैरागी॥

हर हर हर महादेव !

छाल-कपाल, गरल-गल, मुण्डमाल व्याली।

चिता भस्मतन त्रिनयन, अयनमहाकाली॥

हर हर हर महादेव !

प्रेत-पिशाच-सुसेवित, पीत जटाधारी।

विवसन विकट रूपधर, रुद्र प्रलयकारी॥

हर हर हर महादेव !

शुभ्र-सौम्य, सुरसरिधर, शशिधर, सुखकारी।

अतिकमनीय, शान्तिकर, शिवमुनि मन-हारी॥

हर हर हर महादेव !

निर्गुण, सगुण, निरञ्जन, जगमय नित्य प्रभो।

कालरूप केवल हर! कालातीत विभो॥

हर हर हर महादेव !

सत्, चित्, आनन्द, रसमय, करुणामय धाता।

प्रेम-सुधा-निधि प्रियतम, अखिल विश्व त्राता॥

हर हर हर महादेव !

हम अतिदीन, दयामय! चरण-शरण दीजै।

सब विधि निर्मल मति कर, अपना कर लीजै॥

हर हर हर महादेव !

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