Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष के दौरान रोजाना करें इन मंत्रों का जप, प्राप्त होगा पितरों का आशीर्वाद
गरुड़ पुराण में वर्णित है कि पितरों (Pitru Paksha 2024) के अप्रसन्न होने पर जातक को जीवन में नाना प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही जीवन में अकल्पनीय घटना का खतरा बना रहता है। इसके लिए ज्योतिष पितरों को प्रसन्न रखने की सलाह देते हैं। पितरों का तर्पण करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 15 Sep 2024 08:40 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2024) का विशेष महत्व है। यह पर्व पितरों को समर्पित है। इसमें पितरों की पूजा की जाती है। साथ ही पूर्वजों को मोक्ष दिलाने हेतु पितृ पक्ष के दौरान रोजाना तर्पण एवं पिंडदान किया जाता है। पितृ पक्ष का समापन सर्वपितृ अमावस्या तिथि पर होता है। गरुड़ पुराण में निहित है कि पितृ पक्ष के दौरान पितरों का तर्पण करने से तीन पीढ़ी के पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं, व्यक्ति पर पितरों की कृपा बरसती है। उनकी कृपा से व्यक्ति को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। अगर आप भी अपने पितरों को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो पितृ पक्ष के दौरान अपने पूर्वजों का तर्पण अवश्य करें। साथ ही तर्पण के समय इन मंत्रों का जप करें।
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पितृ के मंत्र
1. ॐ पितृ देवतायै नम:।2. ॐ आगच्छन्तु में पितर एवं ग्रहन्तु जलान्जलिम’3. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।
4. ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।5. ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव चनम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:6. पितृ गायत्री मंत्रॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।
7. गोत्रे अस्मतपिता (पितरों का नाम ) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकमगंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।8. गोत्रे अस्मन्माता (माता का नाम) देवी वसुरूपास्त् तृप्यतमिदं तिलोदकमगंगा जल वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः.9. गोत्रे अस्मत्पितामह (दादा का नाम) वसुरूपत तृप्यतमिदं तिलोदकमगंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः
10. गोत्रे अस्मत्पितामह (दादी का नाम) वसुरूपत तृप्यतमिदं तिलोदकमगंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः11. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥