Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष के दौरान रोजाना करें इन मंत्रों का जप, प्राप्त होगा पितरों का आशीर्वाद
गरुड़ पुराण में वर्णित है कि पितरों (Pitru Paksha 2024) के अप्रसन्न होने पर जातक को जीवन में नाना प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही जीवन में अकल्पनीय घटना का खतरा बना रहता है। इसके लिए ज्योतिष पितरों को प्रसन्न रखने की सलाह देते हैं। पितरों का तर्पण करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2024) का विशेष महत्व है। यह पर्व पितरों को समर्पित है। इसमें पितरों की पूजा की जाती है। साथ ही पूर्वजों को मोक्ष दिलाने हेतु पितृ पक्ष के दौरान रोजाना तर्पण एवं पिंडदान किया जाता है। पितृ पक्ष का समापन सर्वपितृ अमावस्या तिथि पर होता है। गरुड़ पुराण में निहित है कि पितृ पक्ष के दौरान पितरों का तर्पण करने से तीन पीढ़ी के पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं, व्यक्ति पर पितरों की कृपा बरसती है। उनकी कृपा से व्यक्ति को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। अगर आप भी अपने पितरों को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो पितृ पक्ष के दौरान अपने पूर्वजों का तर्पण अवश्य करें। साथ ही तर्पण के समय इन मंत्रों का जप करें।
यह भी पढ़ें: Pitru Paksha 2024: क्यों भगवान श्रीराम ने फल्गु नदी के तट पर ही अपने पिता का पिंडदान किया? गयासुर से जुड़ा है कनेक्शन
3. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।
4. ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।
5. ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च
नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:
6. पितृ गायत्री मंत्र
ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।
ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।
ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।
7. गोत्रे अस्मतपिता (पितरों का नाम ) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम
गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।
8. गोत्रे अस्मन्माता (माता का नाम) देवी वसुरूपास्त् तृप्यतमिदं तिलोदकम
गंगा जल वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः.
9. गोत्रे अस्मत्पितामह (दादा का नाम) वसुरूपत तृप्यतमिदं तिलोदकम
गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः
10. गोत्रे अस्मत्पितामह (दादी का नाम) वसुरूपत तृप्यतमिदं तिलोदकम
गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः
11. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
पितृ स्तोत्र
अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम् ।
नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम्।।
इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा ।
सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान् ।।
मन्वादीनां च नेतार: सूर्याचन्दमसोस्तथा ।
तान् नमस्यामहं सर्वान् पितृनप्युदधावपि ।।
नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा ।
द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलि:।।
देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान् ।
अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येहं कृताञ्जलि: ।।
प्रजापते: कश्पाय सोमाय वरुणाय च ।
योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलि: ।।
नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु ।
स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे ।।
सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा ।
नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम् ।।
अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम् ।
अग्रीषोममयं विश्वं यत एतदशेषत: ।।
ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्रिमूर्तय:।
जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिण: ।।
तेभ्योखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतामनस:।
नमो नमो नमस्तेस्तु प्रसीदन्तु स्वधाभुज ।।
यह भी पढ़ें: पितृ पक्ष के दौरान अपने आप दिखें ये संकेत, तो समझिए प्रसन्न हैं आपके पूर्वज
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।