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Shani Pradosh Vrat 2024: शनि प्रदोष व्रत पर पूजा के समय करें मंगलकारी मंत्रों का जप, दूर होंगे सभी कष्ट

सनातन धर्म में भाद्रपद माह का विशेष महत्व है। इस महीने में कई प्रमुख व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं। इनमें संकष्टी चतुर्थी जन्माष्टमी दही हांड़ी प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat 2024) आदि कृष्ण पक्ष में मनाए जाते हैं। प्रदोष व्रत पर भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा की जाती है। इस व्रत को करने से मनचाहा वर प्राप्त होता है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 25 Aug 2024 03:59 PM (IST)
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Shani Pradosh Vrat 2024: महादेव को कैसे प्रसन्न करें ?

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Pradosh Vrat 2024: ज्योतिषीय गणना के अनुसार, 31 अगस्त को शनि प्रदोष व्रत है। यह पर्व देवों के देव महादेव को समर्पित है। इस दिन भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही शिव-शक्ति के निमित्त प्रदोष व्रत रखा जाता है। प्रदोष व्रत का फल जातक को दिन अनुसार प्राप्त होता है। शास्त्रों की मानें तो शनि प्रदोष व्रत करने से न केवल जीवन में व्याप्त बाधा दूर हो जाती है, बल्कि निसंतान दंपतियों को पुत्र रत्न की भी प्राप्ति होती है। अतः साधक श्रद्धा भाव से प्रदोष व्रत पर महादेव संग मां पार्वती की पूजा करते हैं। अगर आप भी मनोवांछित फल पाना चाहते हैं, तो प्रदोष व्रत पर विधि-विधान से देवों के देव महादेव संग शनिदेव की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें।

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मंत्र

1. नीलांजन समाभासं रवि पुत्रं यमाग्रजम ।

छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम ।।

2. सुर्यपुत्रो दीर्घदेहो विशालाक्ष: शिवप्रिय: ।

दीर्घचार: प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनि: ।।

3. ऊँ शन्नोदेवीर भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।

4. ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्

5. ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम।

उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात।।

6. ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिहा।

कंकटी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा।।

शनैर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्।

दुःखानि नाश्येन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखमं।।

7. करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं श्रावण वाणंजं वा मानसंवापराधं ।

विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ॥

8. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

9. सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके,

शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।

10. श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्रमात्रं जपेन्नरः।

दुःस्वप्नं न भवेत्तत्र सुस्वप्नमुपजायते।।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।