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Maa Baglamukhi Mantra: शत्रु भी बन जाएगा आपका प्रिय मित्र, रोजाना करें इन मंत्रों का जप

Maa Baglamukhi Mantra वर्ष में 2 गुप्त नवरात्रि मनाई जाती हैं। इनमें प्रथम माघ महीने और द्वितीय आषाढ़ महीने में मनाई जाती है। आदि शक्ति की दस महाविद्या की आंठवी माता बगलामुखी हैं। मां बगलामुखी को पीला रंग अति प्रिय है। इसके लिए माता बगलामुखी को पीतांबरा कहा जाता है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 30 Apr 2023 03:20 PM (IST)
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Maa Baglamukhi Mantra: शत्रु भी बन जाएगा आपका प्रिय मित्र, रोजाना करें इन मंत्रों का जप

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Maa Baglamukhi Mantra: सनातन धर्म में ईश्वर प्राप्ति के लिए भक्ति का विधान है। साधक ईश्वर प्राप्ति के लिए पूजा, जप, तप और भजन-कीर्तन करते हैं। शास्त्रों में निहित है कि मंत्र जाप से व्यक्ति की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। दशानन रावण से लेकर बलशाली कुंभकर्ण समेत अनेकों राक्षसों ने मंत्र जाप यानी तपस्या कर मनोवांछित फलों की प्राप्ति की थी। वर्तमान समय में भी मंत्र जाप कर व्यक्ति मनोवांछित फल प्राप्त कर सकता है। इसके अलावा, शत्रु को भी मित्र बनाया जा सकता है। अगर आप भी किसी शत्रु को मित्र बनाना चाहते हैं, तो रोजाना इन मंत्रों को जाप करें। इन मंत्रों के प्रभाव से शत्रु यथाशीघ्र मित्र बन जाते हैं। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

सनातन शास्त्रों में सिद्धि प्राप्त करने के लिए आदि शक्ति की दस महाविद्याओं की देवियों की पूजा उपासना का विधान है। इसके लिए वर्ष में 2 गुप्त नवरात्रि मनाई जाती हैं। इनमें प्रथम माघ महीने और द्वितीय आषाढ़ महीने में मनाई जाती है। आदि शक्ति की दस महाविद्या की आंठवी माता बगलामुखी हैं। मां बगलामुखी को पीला रंग अति प्रिय है। इसके लिए माता बगलामुखी को पीतांबरा भी कहा जाता है। इनकी पूजा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और भय से मुक्ति मिलती है। साथ ही सभी प्रकार की बाधाओं से छुटकारा मिलता है। तंत्र मंत्र सीखने वाले साधक कठिन भक्ति कर मां को प्रसन्न करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि भक्ति भाव से माता बगलामुखी की पूजा करने से साधक के जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है। साथ ही मंत्र साधना से शत्रु भी मित्र बन जाते हैं।

पूजा विधि

इसके लिए रोजाना प्रातः काल उठें और माता रानी को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। इसके पश्चात, गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें और आचमन कर खुद को शुद्ध करें। अब पीले वस्त्र धारण कर मां की पूजा पीले फूल, फल, धूप, दीप, चंदन आदि चीजों से करें। पूजा के समय निम्न मंत्रों का एक माला जप करें -

1.

ऊँ ह्रीं बगलामुखी देव्यै ह्रीं ऊँ नमः

2.

ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय

जिह्वां कीलम बुद्धिं विनाशाय ह्रीं ऊं स्वाहा।

अंत में आरती अर्चना कर सुख, समृद्धि, यश, कीर्ति और शत्रु पर विजय की कामना करें।

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