Char Dham Yatra: जानिए चारधाम यात्रा का महत्व और इससे जुड़ी कुछ रोचक बातें
Char Dham Yatra सनातन धर्म में चार धाम यात्रा को बहुत है महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति चार धाम में से किसी एक धाम के भी दर्शन कर लेता है उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Char Dham Yatra: चार धाम यानी बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की यात्रा शुरू हो गई है। वेद एवं पुराणों में चार धाम यात्रा को बहुत ही शुभ माना गया है। मान्यता है कि जो व्यक्ति चार धाम की यात्रा करता है, उसे समस्त पापों से मुक्ति प्राप्त हो जाती है। साथ ही जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। बता दें कि हिंदू धर्म में दो प्रकार की चार धाम यात्रा की जाती है। एक बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की यात्रा और दूसरा बद्रीनाथ, जगन्नाथ, रामेश्वरम और द्वारका धाम की यात्रा। यह सभी पवित्र धाम देश के विभिन हिस्सों में मौजूद हैं, जिसके कारण इसे बड़ा चार धाम यात्रा भी कहा जाता है। आइए जानते हैं, क्या है चार धाम यात्रा का महत्व और इससे जुड़ी कुछ रोचक बातें?
चार धाम यात्रा का महत्व और कुछ रोचक बातें (Char Dham Yatra Interesting Facts)
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बद्रीनाथ धाम को सृष्टि का आठवां वैकुंठ भी कहा जाता है। यहां भगवान विष्णु छह महीने विश्राम करने के लिए आते हैं। साथ ही केदारनाथ धाम में भगवान शंकर विश्राम करते हैं। केदारनाथ में दो पर्वत हैं, जिन्हें नर और नारायण नाम से जाना जाता है। वह भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से हैं। माना यह भी जाता है कि केदारनाथ धाम के दर्शन के बाद ही बद्रीनाथ धाम के दर्शन किए जाते हैं। ऐसा करने से ही पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है।
शास्त्रों में बताया गया है कि चार धाम यात्रा करने से व्यक्ति को जीवन और मरण के चक्र से मुक्ति प्राप्त हो जाती है। एक कहावत यह भी कहा गया है की जो व्यक्ति एक बार भी बद्रीनाथ के दर्शन करता है, उसे उदर यानि गर्भ में नहीं जाना पड़ता है। शिव पुराण में बताया गया है कि केदारनाथ ज्योतिर्लिंग का पूजन करने के बाद जो व्यक्ति जल ग्रहण कर लेता है, उसे दोबारा जन्म नहीं लेना पड़ता है।
देश के हर कोने में प्रसिद्ध चार धाम की यात्रा करने से व्यक्ति को विभिन्न क्षेत्रों की भाषा, इतिहास, धर्म इत्यादि और उस जगह से जुड़ी परंपरा आदि से परिचित होने का मौका मिलता है। इससे आत्मज्ञान में वृद्धि होती है। अधिकांश लोग बुढ़ापे में तीर्थ यात्रा करते हैं, लेकिन जो लोग जवानी में ही इस तीर्थ यात्रा को पूरा कर लेते हैं, उन्हें परम ज्ञान की प्राप्ति हो जाती है।
तीर्थ यात्रा में व्यक्ति को अधिकांश समय पैदल चलना पड़ता है। जिससे शरीर में ऊर्जा बढ़ती है और ऐसा करने से आयु में वृद्धि होती है। इसलिए शास्त्रों में भी कहा गया है कि जो लोग चार धाम की यात्रा करते हैं, उन्हें आरोग्यता एवं आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और वह आजीवन कई प्रकार की शारीरिक समस्याओं से दूर रहते हैं।
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