Chaturmas 2024: सिर्फ हिंदू ही नहीं, इन धर्मों के लिए भी खास है चातुर्मास, जानिए कैसे
चातुर्मास का स्वामी भगवान विष्णु को माना गया है। यह अवधि न केवल हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान रखती है बल्कि अन्य धर्म जैसे बौद्ध और जैन धर्म में भी इसका विशेष महत्व माना गया है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार चातुर्मास में किसी भी प्रकार के मांगिलक कार्य नहीं किए जाते। इस साल चातुर्मास की शुरुआत 17 जुलाई 2024 से हो रही है जिसका समापन 12 नवंबर को होगा।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ मास में आने वाली देवशयनी एकादशी से चातुर्मास की शुरुआत मानी जाती है। यह वह तिथि से जिससे भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम करने चले जाते हैं और इसके बाद वह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन पुनः निद्रा से जागते हैं। इसलिए इस तिथि को देवउठनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इन दोनों एकादशी के बीच की अवधि को चातुर्मास कहा जाता है, जो लगभग 4 महीने की अवधि होती है।
एक स्थान पर करते हैं साधना
जैन परम्परा के अनुसार, आषाढ़ी पूर्णिमा से कार्तिक पूर्णिमा तक के समय का समय चातुर्मास कहलाता है। चातुर्मास में ही जैन धर्म का सबसे प्रमुख पर्व पर्युषण भी मनाया जाता है। जहां जैन धर्म के अनुयायी वर्ष भर पैदल चलकर भक्तों के बीच अहिंसा और सत्य आदि शिक्षाओं का प्रचार करते हैं, वहीं चातुर्मास में जैनमुनि किसी स्थान पर ठहरकर उपवास, मौन-व्रत, ध्यान-साधना आदि करते हैं।
क्योंकि चातुर्मास वर्षा का समय होता है और इस अवधि में प्रकृति में नए जीवन का संचार हो रहा होता है। इस दौरान कई प्रकार के कीड़े, सूक्ष्म जीव जो आंखों से दिखाई नहीं देते वे सर्वाधिक सक्रिय होते हैं। इसलिए जैन धर्म में माना गया है कि मनुष्य के अधिक चलने-फिरने से इन जीवों को नुकसान पहुंच सकता है और जैन धर्म अहिंसा को महत्व देता है। यही कारण है कि चातुर्मास के दौरान जैन अनुयायी एक ही स्थान पर रहकर साधना करते हैं।
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बौद्ध धर्म में महत्व
जैन धर्म की तरह ही बौद्ध धर्म में भी चातुर्मास का विशेष महत्व माना गया है। बौद्ध धर्म भी अहिंसा का सर्वोपरि मानता है, जिस कारण बौद्ध धर्म के अनुयायी भी चातुर्मास की 4 महीने की अवधि में कई तरह के नियमों का पालन करते हैं। जिसके अनुसार, साधु-संत, ज्ञान की प्राप्ति के लिए एक ही स्थान पर रहकर अराधना करते हैं। अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।