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Chaturmas 2024: चातुर्मास के दौरान नहीं करने चाहिए ये काम, जानें इसके नियम

हिंदू धर्म में चातुर्मास का खास महत्व है जिसकी शुरुआत 17 जुलाई से होगी। वहीं इसका समापन 12 नवंबर को होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दौरान भगवान श्री हरि विष्णु के साथ शिव जी की पूजा का विधान है। इन चार महीनों के लिए सभी मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं क्योंकि भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Fri, 21 Jun 2024 12:13 PM (IST)
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Chaturmas 2024: चातुर्मास के दौरान इन बातों का रखें ध्यान

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। चातुर्मास का महीना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यह चार महीने की अवधि बेहद धार्मिक मानी जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल इसकी शुरुआत 17 जुलाई को होगी। वहीं, इसका समापन 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी के दिन होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस महीने (Chaturmas 2024) में भगवान विष्णु के साथ शिव जी की पूजा का विधान है, जो लोग इस दौरान सच्चे भाव के साथ पूजा-अर्चना करते हैं और धार्मिक कार्यों से जुड़े रहते हैं, उनके जीवन की सभी समस्याओं का अंत हो जाता है, तो आइए इस दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं -

चातुर्मास के दौरान इन बातों का रखें ध्यान

  • चातुर्मास के दौरान तामसिक चीजों के सेवन से बचना चाहिए।
  • इस दौरान सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए।
  • चातुर्मास के दौरान जमीन पर शयन करना चाहिए।
  • चातुर्मास के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करने चाहिए।
  • इस दौरान कुछ लोग दिन में एक बार भोजन करते हैं।
  • चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु और शिव जी की पूजा करना फलदायी माना जाता है।
  • इस मास में तुलसी पौधे के समक्ष रोजाना घी का दीपक जलाना चाहिए।
  • इस अवधि के दौरान पवित्र ग्रंथों को पढ़ना चाहिए।
  • भक्तों को इस दौरान धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों में शामिल होना चाहिए।
  • इस माह में पवित्र स्थलों की यात्रा करना अत्यधिक शुभ माना जाता है।
  • इस दौरान शराब, सिगरेट और जुआ जैसी बुरी आदतों से दूर रहना चाहिए।
  • इस दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

भगवान विष्णु पूजन मंत्र

1. ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।

ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।

शिव जी प्रार्थना मंत्र

2. शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।।

ईशानः सर्वविध्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रम्हाधिपतिमहिर्बम्हणोधपतिर्बम्हा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम।।

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