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Chaturthi 2024 July: जुलाई में कब कौन सी चतुर्थी है? अभी नोट करें डेट और शुभ मुहूर्त

सनातन धर्म को चतुर्थी (Chaturthi 2024 July) तिथि को बेहद खास माना गया है। इस दिन सुबह स्नान करने के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसके बाद भगवान शिव के पुत्र गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना करें और व्रत का संकल्प लें। धार्मिक मान्यता के अनुसार ऐसा करने से साधक बल बुद्धि विद्या और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Published: Wed, 26 Jun 2024 11:04 AM (IST)Updated: Wed, 26 Jun 2024 11:04 AM (IST)
Chaturthi 2024 July: जुलाई में कब कौन सी चतुर्थी है? अभी नोट करें डेट और शुभ मुहूर्त और

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chaturthi 2024 July Date: हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर व्रत किया जाता है। यह तिथि भगवान गणेश जी को समर्पित है। चतुर्थी तिथि पर गणपति बप्पा की विशेष पूजा करने का विधान है। साथ ही जीवन के दुखों को दूर करने के लिए व्रत भी किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से जातक के जीवन में खुशियों का आगमन होता है। अब जुलाई का महीना शुरू होने वाला है, तो ऐसे में चलिए जानते हैं इस माह में पड़ने वाली चतुर्थी की डेट और शुभ मुहूर्त के बारे में जानते हैं।

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विनायक चतुर्थी 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Vinayak Chaturthi 2024 Date and Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत सुबह 06 बजकर 08 मिनट से होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन 10 जुलाई को सुबह 07 बजकर 51 मिनट पर होगा। इस दिन चन्द्रास्त का समय रात 09 बजकर 58 मिनट पर है। साधक 09 जुलाई को व्रत रख सकते हैं।

गजानन चतुर्थी 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Gajanan Sankashti Chaturthi 2024 Date and Shubh Muhurat)

सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 24 जुलाई को सुबह 07 बजकर 30 मिनट से होगी और इसके अगले दिन यानी 25 जुलाई को सुबह 04 बजकर 39 मिनट पर तिथि का समापन होगा। ऐसे में गजानन संकष्टी चतुर्थी 25 जुलाई को मनाई जाएगी।

पूजा के दौरान करें इन मंत्रो का जप (Lord Ganesh Mantra)

गणेश गायत्री मंत्र

ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

धन लाभ हेतु मंत्र

ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।

गणेश मंत्र

ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।

निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।


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