Move to Jagran APP

Chaturthi August 2024: अगस्त में कब कौन-सी चतुर्थी है? इस शुभ मुहूर्त में पूजा करने से विघ्न होंगे दूर

चतुर्थी तिथि देवों के देव महादेव के पुत्र भगवान गणेश को समर्पित है। सनातन शास्त्रों में चतुर्थी तिथि (Chaturthi Vrat 2024) का अधिक महत्व बताया गया है। मान्यता है कि गणपति बप्पा की पूजा के बिना किसी भी देवी-देवता की पूजा-अर्चना पूर्ण नहीं मानी जाती है। अब अगस्त का महीना शुरू होने वाला है। ऐसे में आइए जानते हैं इस माह में चतुर्थी तिथि कब-कब पड़ रही है?

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sat, 27 Jul 2024 01:35 PM (IST)
Hero Image
Vinayak Chaturthi 2024: महीने में 2 बार किया जाता है चतुर्थी व्रत
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chaturthi August 2024 Date: धार्मिक मान्यता है कि चतुर्थी तिथि का व्रत करने से जातक के जीवन में आने वाले सभी दुख और संकट दूर होते हैं। हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश की पूजा और व्रत किया जाता है। अगस्त के महीने में विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi 2024) और बहुला चतुर्थी पड़ रही है। चलिए जानते हैं इन दोनों चतुर्थी की डेट और शुभ मुहूर्त के बारे में।

यह भी पढ़ें: Sawan 2024: कैसे हुई भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करने की शुरुआत, इसके बिना पूजा रहती है अधूरी

विनायक चतुर्थी 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Vinayak Chaturthi 2024 Date and Shubh Muhurat)

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी ति​थि की शुरुआत 07 अगस्त को रात्रि 10 बजकर 05 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 09 अगस्त 2024 दिन रात्रि 12 बजकर 36 मिनट पर होगा। ऐसे में विनायक चतुर्थी व्रत 08 अगस्त को किया जाएगा।

बहुला चतुर्थी 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Bahula Chaturthi 2024 Date and Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 22 अगस्त को दोपहर 01 बजकर 46 मिनट से होगी। वहीं, इसका समापन 23 अगस्त को सुबह 10 बजकर 38 मिनट पर होगा। ऐसे में बहुला चतुर्थी 22 अगस्त को मनाई जाएगी।

भगवान गणेश के मंत्र

1. ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

2. गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।

द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥

विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।

द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌ ॥

विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत्‌ क्वचित्‌ ।

यह भी पढ़ें: Annaprashan Sanskar: अन्नप्राशन में बच्चे को सबसे पहले क्या खिलाएं, जिससे बना रहे देवताओं का आशीर्वाद