Chhath Puja 2023: नहाय खाय के दिन बन रहे हैं ये 2 अद्भुत संयोग, प्राप्त होगा कई गुना फल
चार दिवसीय छठ पूजा के पहले दिन नहाय खाय मनाया जाता है। इसमें व्रती स्नान-ध्यान कर विधि-विधान से सूर्य देव की पूजा करते हैं। इसके पश्चात भोजन ग्रहण करती हैं। भोजन में चावल दाल और लौकी की सब्जी ग्रहण करती हैं। ज्योतिषियों की मानें तो नहाय खाय के दिन दुर्लभ भद्रावास योग का निर्माण हो रहा है। इसके अलावा कई अन्य अद्भुत संयोग बन रहे हैं।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 16 Nov 2023 12:15 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chhath Puja 2023: लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा की शुरुआत कल यानी 17 नवंबर से हो रही है। चार दिवसीय छठ पूजा के पहले दिन नहाय खाय मनाया जाता है। इसमें व्रती स्नान-ध्यान कर विधि-विधान से सूर्य देव की पूजा करते हैं। इसके पश्चात, भोजन ग्रहण करती हैं। भोजन में चावल, दाल और लौकी की सब्जी ग्रहण करती हैं। ज्योतिषियों की मानें तो नहाय खाय के दिन दुर्लभ भद्रावास योग का निर्माण हो रहा है। इसके अलावा, कई अन्य अद्भुत संयोग बन रहे हैं। इन संयोग में सूर्य देव की उपासना करने से कई गुना फल प्राप्त होता है। आइए, शुभ मुहूर्त, पंचांग और योग जानते हैं-
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि सुबह 11 बजकर 03 मिनट तक है। इसके पश्चात, पंचमी तिथि शुरू हो जाएगी। छठ पूजा के पहले दिन नहाय खाय मनाया जाता है।करण योग
नहाय खाय के दिन 11 बजकर 03 मिनट से बव करण का निर्माण हो रहा है। ज्योतिष बव करण को शुभ मानते हैं। इस करण में शुभ कार्य किये जाते हैं। साथ ही बव करण में आराध्य देव की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
भद्रावास योग
नहाय खाय के दिन वर्षों बाद भद्रावास योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में पूजा करने से व्रती को कई गुना फल प्राप्त होगा। ज्योतिषियों की मानें तो भद्रावास योग में समस्त भूमंडल का कल्याण होता है। इस समय में भद्रा पाताल लोक में निवास करती हैं। इस समय में सूर्य देव की उपासना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 45 मिनट परसूर्यास्त - शाम 17 बजकर 27 मिनट परचंद्रोदय- सुबह 10 बजकर 40 मिनट परचंद्रास्त- शाम 08 बजकर 52 मिनट परयह भी पढ़ें : जानें, क्यों मनाई जाती है छठ पूजा और क्या है इसका धार्मिक महत्व?
डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
पंचांग
ब्रह्म मुहूर्त - 04 बजकर 59 मिनट से 05 बजकर 52 मिनट तकविजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 53 मिनट से 02 बजकर 36 मिनट तकगोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 57 मिनट से 05 बजकर 53 मिनट तकनिशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 40 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तकअशुभ समय
राहु काल - सुबह 10 बजकर 46 मिनट से 12 बजकर 06 मिनट तकगुलिक काल - सुबह 08 बजकर 05 मिनट से 09 बजकर 25 मिनट तक दुष्टमुहूर्त- सुबह 08 बजकर 53 मिनट से 09 बजकर 36 मिनट तककंटक- दोपहर 01 बजकर 10 मिनट से 01 बजकर 52 मिनट तकयमघण्ट - शाम 04 बजकर 01 मिनट से 04 बजकर 44 मिनट तककुलिक- सुबह 08 बजकर 53 मिनट से 09 बजकर 36 मिनट तककालवेला या अर्द्धयाम- दोपहर 02 बजकर 35 मिनट से 03 बजकर 18 मिनट तकयमगण्ड- दोपहर 02 बजकर 46 मिनट से 04 बजकर 06 मिनट तकदिशा शूल - उत्तर यह भी पढ़ें : नवंबर महीने में 5 दिन बजेगी शहनाई, नोट करें विवाह मुहूर्त, तिथि एवं नक्षत्र संयोगडिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।