Chhath Puja 2023: छठ पूजा में इसलिए किया जाता है बांस के सूप का इस्तेमाल, जानिए महत्व
Chhath Puja 2023 Date भारतीय संस्कृति में छठ का पर्व विशेष महत्व रखता है। यह पर्व चार दिनों तक चलता है। इस साल छठ पर्व की शुरुआत 17 नवंबर के दिन नहाय खाय से हो रही है। वहीं इसका समापन 19 नवंबर को छठ पूजा का संध्या अर्घ्य देकर किया जाएगा। छठ पर्व में सूप का भी विशेष तौर से इस्तेमाल किया जाता है। आइए जानते हैं इसका महत्व।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chhath Puja 2023: छठ को लोक आस्था का महापर्व है। इसकी शुरुआत कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से होती है। छठ पूजा भगवान सूर्य और छठी मैया को समर्पित है। छठ पूजा के चार दिनों के दौरान महिलाएं संतान की सलामती और परिवार की खुशहाली के लिए व्रत करती हैं। कई स्थानों पर छठ पूजा को प्रतिहार, डाला छठ, छठी और सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है।
संतान को समर्पित है छठ पूजा
निसंतान दंपत्तियों द्वारा संतान प्राप्ति के लिए छठ पूजा की जाती है। साथ ही छठ व्रत करने से संतान की सेहत अच्छी बनी रहती है, और उन्हें जीवन में सफलता प्राप्त होती है। यह पूजा मूल रूप से संतान के लिए की जाती है। ऐसे में छठ पूजा में बांस के बन सूप का इस्तेमाल किया जाता है, जो इस बात का प्रतीक है कि जिस प्रकार बांस तेजी से बढ़ता है उसी प्रकार संतान की भी प्रगति हो। यही कारण है कि छठ पूजा बांस के सूप के बिना अधूरी मानी जाती है।
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यह है मान्यता
छठ पूजा के दौरान सूर्य की पूजा में अर्घ्य देते समय भी बांस के सूप का इस्तेमाल किया जाता है। इस दौरान महिलाएं बांस से बने सूप, टोकरी या देउरा में फल आदि रखकर छठ घाट पर ले जाती हैं और इन्ही के द्वारा सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। बांस से बने सूप या टोकरी की सहायता से ही छठी मैया को भेंट भी दी जाती है। मान्यताओं के अनुसार, बांस से पूजा करने से धन और संतान का सुख मिलता है।
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