Chhath Puja 2023: भूलकर भी न करें खरना पूजा में ये काम, रुष्ट हो जाएंगे सूर्य भगवान
Chhath Puja 2023 छठ व्रत सूर्य भगवान और उनकी बहन छठी मैया की पूजा के लिए समर्पित है। आज छठ महापर्व का दूसरा दिन है जिसके अपने कुछ अलग नियम हैं। इस दौरान जो लोग व्रत कर रहे हैं उन्हें कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। तो चलिए जानते हैं छठ पूजा के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chhath Puja 2023: छठ पूजा की धार्मिक शुरुआत हो चुकी है। यह चार दिवसीय त्योहार नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ है। इस पर्व के दौरान साधक 36 घंटे का कठिन 'निर्जला' व्रत रखते हैं। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष के छठे दिन मनाया जाने वाली छठ पूजा ज्यादातर महिलाएं रखती हैं। यह व्रत सूर्य भगवान और उनकी बहन छठी मैया की पूजा के लिए समर्पित है। आज छठ महापर्व का दूसरा दिन है, जिसके अपने कुछ अलग नियम हैं।
इस दौरान जो लोग व्रत कर रहे हैं, उन्हें कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। तो चलिए जानते हैं, छठ पूजा के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
खरना पूजा के दौरान न करें ये काम -
बिना हाथ-पैर धाए पूजा की चीजों को न छुएं- खरना पूजा के दौरान उपयोग की जाने वाली सभी पूजा सामग्री और प्रसाद की वस्तुएं शुद्ध, स्वच्छ और स्वच्छ रहनी चाहिए। इसके लिए, यह महत्वपूर्ण है कि प्रसाद बनाने या किसी भी पूजा सामग्री को छूने से पहले अपने हाथ और पैर को अच्छी तरह से साफ कर लें।
नमकीन चीजें न खाएं - खरना के दिन से नमकीन चीजें खाना या छूना वर्जित है। छठ के पहले दिन नहाय खाय के दौरान कद्दू-भात-चना दाल का प्रसाद बनाया जाता है, जिसे व्रती और परिवार के सभी सदस्य खाते हैं। हालांकि, उसके बाद किसी भी नमकीन चीज को छुआ या खाया नहीं जा सकता है।
मांसाहारी भोजन न करें - भले ही आप छठ पूजा का व्रत नहीं कर रहे हैं, लेकिन अगर आपके परिवार का कोई सदस्य व्रत कर रहा है, तो खरना पूजा के दिन या फिर अन्य दिन तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। इस चार दिवसीय व्रत के दौरान व्यक्ति को सात्विक भोजन का ही सेवन करना चाहिए।
पहले पहने हुए कपड़े न पहनें- खरना पूजा के दिन या छठ पूजा गतिविधियों में भाग लेते समय सिर्फ नए व साफ कपड़े पहन सकते है।
खरना पूजा अर्घ्य मंत्र
ऊँ ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणार्ध्य दिवाकर:।।
ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ आदित्याय नम:, ऊँ नमो भास्कराय नम:। अर्घ्य समर्पयामि।।
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