Chhath Puja 2023: महापर्व छठ के दौरान भगवान सूर्य के कवच का करें पाठ, पूरे होंगे अधूरे काम
Chhath Puja 2023 छठ पर्व सूर्य देव और छठ माता (Chhath Mata) की पूजा के लिए समर्पित है। इस वजह से इस चार दिवसीय व्रत में जो लोग भगवान सूर्य की विशेष पूजा करते हैं उनके कवच का पाठ करते हैं सूर्य नारायण (Lord Surya)उनकी सभी इच्छाओं को पूर्ण करते हैं। यहां पढ़ें भगवान सूर्य का शक्तिशाली कवच जो इस प्रकार है-
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chhath Puja 2023: महापर्व छठ की शुरुआत 17 नवंबर से हो चुकी है। हिंदू धर्म में यह व्रत बेहद खास माना गया है, जो लोग इस दौरान सच्चे दिल से पूजा-अर्चना करते हैं उन्हें जीवन में कभी दुखों का सामना नहीं करना पड़ता है। यह पर्व सूर्य देव और छठ माता (Chhath Mata) की पूजा के लिए समर्पित है। इस वजह से इस चार दिवसीय व्रत में जो लोग भगवान सूर्य की विशेष पूजा करते हैं, उनके कवच का पाठ करते हैं सूर्य नारायण (Lord Surya) उनकी सभी इच्छाओं को पूर्ण करते हैं। यहां पढ़ें भगवान सूर्य का शक्तिशाली कवच-
।।सूर्यकवच।।
याज्ञवल्क्य उवाच-
''श्रणुष्व मुनिशार्दूल सूर्यस्य कवचं शुभम्।
शरीरारोग्दं दिव्यं सव सौभाग्य दायकम्।।
याज्ञवल्क्यजी बोले- हे मुनि श्रेष्ठ! सूर्य के शुभ कवच को सुनो, जो शरीर को आरोग्य देने वाला है तथा संपूर्ण दिव्य सौभाग्य को देने वाला है।
देदीप्यमान मुकुटं स्फुरन्मकर कुण्डलम।
ध्यात्वा सहस्त्रं किरणं स्तोत्र मेततु दीरयेत् ।।
चमकते हुए मुकुट वाले डोलते हुए मकराकृत कुंडल वाले हजार किरण (सूर्य) को ध्यान करके यह स्तोत्र प्रारंभ करें।
शिरों में भास्कर: पातु ललाट मेडमित दुति:।
नेत्रे दिनमणि: पातु श्रवणे वासरेश्वर: ।।
मेरे सिर की रक्षा भास्कर करें, अपरिमित कांति वाले ललाट की रक्षा करें। नेत्र की रक्षा दिनमणि करें तथा कान की रक्षा दिन के ईश्वर करें।
ध्राणं धर्मं धृणि: पातु वदनं वेद वाहन:।
जिव्हां में मानद: पातु कण्ठं में सुर वन्दित: ।।
मेरी नाक की रक्षा धर्मघृणि, मुख की रक्षा देववंदित, जिव्हा की रक्षा मानद् तथा कंठ की रक्षा देव वंदित करें।
सूर्य रक्षात्मकं स्तोत्रं लिखित्वा भूर्ज पत्रके।
दधाति य: करे तस्य वशगा: सर्व सिद्धय: ।।
सूर्य रक्षात्मक इस स्तोत्र को भोजपत्र में लिखकर जो हाथ में धारण करता है तो संपूर्ण सिद्धियां उसके वश में होती हैं।
सुस्नातो यो जपेत् सम्यग्योधिते स्वस्थ: मानस:।
सरोग मुक्तो दीर्घायु सुखं पुष्टिं च विदंति'' ।।
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