Chhath Puja 2023: छठ पूजा के दौरान इन विशेष बातों का रखें ध्यान, प्रसन्न होंगी छठी मैया
Chhath Puja 2023 छठ पूजा का अपना एक धार्मिक महत्व और अनुष्ठान है जिसका पालन साधक को अवश्य करना चाहिए । मुख्य रूप से यह पर्व बिहार झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। इस दौरान भगवान सूर्य और छठी मैया की पूजा का विधान है। छठ पूजा का त्योहार चतुर्थी तिथि से शुरू होता है और सप्तमी तिथि तक चलता है।
By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Fri, 17 Nov 2023 12:44 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chhath Puja 2023: छठ पूजा व्रत का सनातन धर्म में बहुत महत्व है। इस पर्व को लोग उत्साह के साथ बड़े धूमधाम से मनाते हैं। इस चार दिनों तक चलने वाले पर्व के प्रत्येक दिन का अपना एक धार्मिक महत्व और अनुष्ठान है, जिसका पालन व्रतियों को अवश्य करना चाहिए । मुख्य रूप से यह पर्व बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। इस दौरान भगवान सूर्य और छठी मैया की पूजा का विधान है। छठ पूजा का त्योहार चतुर्थी तिथि से शुरू होता है और सप्तमी तिथि तक चलता है।
इस साल इस पर्व की शुरुआत 17 नवंबर यानी आज से हुई है। साथ ही इसका समापन 20 नवंबर को होगा। अगर आप इस पर्व को मना रहे हैं, तो यहां दी गई विशेष बातों का ध्यान जरूर रखें। तो आइए जानते हैं -यह भी पढ़ें : Chhath Puja 2023: छठ पूजा के दौरान इस खास समय पर दें सूर्य देव को अर्घ्य, यहां पढ़ें सूर्यास्त और सूर्योदय का समय
छठ पूजा पर इन बातों का रखें ध्यान -
- जो लोग व्रत रख रहे हैं उन्हें अपने घर की साफ-सफाई करनी चाहिए, क्योंकि इन दिनों में साफ-सफाई का बेहद महत्व है।
- किसी भी अनुष्ठान को शुरू करने से पहले भक्तों को सुबह जल्दी स्नान करना चाहिए।
- छठ पूजा के दौरान महिलाएं हर रोज नारंगी सिन्दूर लगाएं, क्योंकि यह पहला और मुख्य संस्कार है।
- भोग प्रसाद बनाते समय साधारण नमक का प्रयोग न करें, सेंधा नमक का ही प्रयोग करें।
- इस त्योहार के दौरान शराब और मांसाहारी भोजन का सेवन भूलकर भी न करें।
- इस पूजा में तामसिक भोजन से भी बचना जरूरी माना गया है।
- लोगों को पूजा करते समय भगवान सूर्य और छठी मैया को दूध भी चढ़ाना चाहिए।
- रात्रि के समय व्रत कथा पढ़ें या सुनें। छठ पूजा के दौरान यह जरूरी है।
- पूजा का समापन सूर्य देव और छठ माता की आरती से करना चाहिए।
- पूजा के लिए फटी या इस्तेमाल की हुई टोकरी का प्रयोग न करें।
- भोग प्रसाद को सबसे पहले व्रत करने वाले द्वारा भगवान सूर्य को अर्पित करने के बाद खाया जाता है, फिर इसे परिवार के सभी सदस्यों और रिश्तेदारों के बीच वितरित किया जाता है।
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