Chhath Puja 2023: आज है खरना पूजा, जानें उषा अर्घ्य और संध्या अर्घ्य का महत्व
Chhath Puja 2023 छठ पूजा का त्योहार मुख्य रूप से बिहार उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल में मनाया जाता है। इस साल यह पर्व (Chhath Puja) 17 नवंबर 2023 से शुरू हुआ है। ऐसे में जो लोग यह व्रत रख रहे हैं उन्हें इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानना बेहद जरूरी है जो इस प्रकार है। तो आइए जानते हैं-
By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Sat, 18 Nov 2023 09:54 AM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chhath Puja 2023: छठ पूजा का सनातन धर्म में बड़ा धार्मिक महत्व है। यह पर्व लगातार चार दिनों तक बड़ी श्रद्धा और समर्पण के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार पूरी तरह से सूर्य देव और छठ माता की पूजा के लिए समर्पित है। छठ पूजा का त्योहार मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल में मनाया जाता है।
इस साल यह पर्व 17 नवंबर 2023 से शुरू हुआ है। ऐसे में जो लोग यह व्रत रख रहे हैं उन्हें इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानना बेहद जरूरी है।
चार दिवसीय अनुष्ठान को लेकर प्रसाद बनाते हुए व्रतीछठ पूजा की महत्वपूर्ण तिथियां और दिन
नहाये खाये 17 नवंबर 2023
खरना 18 नवंबर 2023संध्या अर्घ्य 19 नवंबर 2023उषा अर्घ्य/पारण दिवस 20 नवम्बर 2023नहाये खाये - नहाय खाय इस पर्व का पहला दिन है, जब भक्त नदियों, तालाबों, गंगा नदी या यमुना नदी में स्नान करते हैं। वे अपने साथ गंगा जल घर ले जाते हैं, और वे इसका उपयोग प्रसाद तैयार करने के लिए करते हैं, एक पवित्र व्यंजन जो आमतौर पर कद्दू, लौकी और मूंग (चना दाल) के साथ बनाया जाता है।
खरना - इस दिन साधक पूरे दिन का उपवास रखते हैं। शाम होने से पहले न कुछ खाते हैं, नाही पीते हैं। शाम को लोग एक विशेष प्रसाद बनाते हैं, जिसे रसिया-खीर के नाम से जाना जाता है, जो चावल, दूध और गुड़ से बना एक मीठा भोग है। इस भोग को छठी मैया को अर्पित करने के बाद साधक प्रसाद के रूप में स्वयं ग्रहण करते हैं।संध्या अर्घ्य - अर्घ्य देने की तैयारियों में पूरा दिन लग जाता है। साधक शाम को अपने परिवार के साथ नदी के किनारे डूबते सूर्य की पूजा करते हैं। साथ ही लोग पारंपरिक गीत गाते हैं और भक्तों को संध्या अर्घ्य देते हैं।
उषा अर्घ्य - यह सुबह नदी के किनारे सूर्य देव को दिया जाने वाला अर्घ्य है। इस दौरान भक्त अपने परिवारों के साथ एकत्र होते हैं और सूर्योदय की प्रतीक्षा करते हैं। इसके बाद वहां मौजूद लोग और व्रती सूर्य देव को उषा अर्घ्य (Usha Arghya) देते हैं।इसके बाद व्रती घाट पर अपने बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं और फिर वे परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों के बीच भोग प्रसाद वितरित करते हैं।
यह भी पढ़ें : Chhath Puja 2023: इस विधि से होती है खरना पूजा, जानें इसका धार्मिक महत्वडिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।