Chhath Puja 2024 Bhog: छठ पूजा में छठी मैया को लगाएं इन चीजों का भोग, सुख-समृद्धि में होगी वृद्धि
लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा की शुरुआत आज यानी 05 नवंबर से हो गई है। बिहार समेत देशभर में इस दौरान बहुत ही खास रौनक देखने को मिलती है और माहौल पूरी तरह से भक्तिमय हो जाता है। इस व्रत को निर्जला किया जाता है और छठी मैया के लिए विशेष भोग (Chhath Puja ke Bhog) बनाए जाते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आज से छठ पर्व की शुरुआत हो गई है। इस पर्व के प्रथम दिन नहाय-खाय की परंपरा को विधिपूर्वक निभाया जाता है। पंचांग के अनुसार, हर साल छठ के त्योहार का प्रारंभ चतुर्थी तिथि से होता है। छठ पूजा के दौरान छठी मैया और सूर्य देव की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही निर्जला व्रत किया जाता है। पूजा थाली में कई तरह के भोग शामिल किए जाते हैं। मान्यता है कि छठी मैया और सूर्य देव को प्रिय चीजों का भोग लगाने से घर में खुशियों का आगमन होता है। साथ ही परिवार के सदस्यों पर छठी मैया की कृपा सदैव बनी रहती है। आइए इस लेख में जानते हैं कि छठी मैया (Chhath Puja 2024 Bhog List) और सूर्य देव को किन चीजों का भोग लगाना फलदायी माना गया है?
इन भोग को करें शामिल
- छठ पूजा के दिन पहले दिन (नहाय खाय) लौकी और चना की सब्जी और कच्चे चावल का भात बनाया जाता है, जिसे छठी मैया को भोग लगाया जाता है।
- खरना पूजा में दूध, चावल और गुड़ की खीर बनाई जाती है, जिसे व्रती के साथ परिवार के सदस्यों में प्रसाद का वितरण किया जाता है।
- इसके अलावा छठ पूजा गन्ना, केला, नारियल, सिंघाड़ा समेत आदि फल को शामिल करना चाहिए।
- अगर आप छठी मैया और सूर्य देव को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो चावल के लड्डू भी बना सकते हैं। इस भोग को छठी मैया का प्रिय माना जाता है।
- छठ पूजा के भोग लिए ठेकुआ बनाया जाता है, जिसे खजूरिया या थिकारी भी कहते हैं। धार्मिक मान्यता है कि ठेकुआ को पूजा थाली में शामिल करने से जातक का जीवन खुशहाल होता है और पूजा सफल होती है।
कैसे मनाया जाता है छठ पर्व
हर साल छठ पर्व की शुरुआत नहाय खाय के साथ होती है। इस दिन महिलाएं तालाब या नदी में स्नान करती हैं। इसके बाद पूजा-अर्चना कर सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं। इसके अगले दिन दूसरे दिन खरना पूजा होती है, जिससे व्रत की शुरुआत मानी जाती है। इस व्रत को निर्जला किया जाता है। खरना के दिन गुड़ और चावल की खीर बनाई जाती है। इसके अगले दिन व्रत किया जाता और डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। वहीं, अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है।
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