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Chhath Puja 2024: इस विधि से करें छठ पूजा का व्रत, सुख-समृद्धि में होगी वृद्धि

हर वर्ष कार्तिक माह में पड़ने वाली शुक्ल पक्ष की चर्तुथी तिथि से लोक आस्था का महापर्व की शुरुआत होती है। महिलाएं इस व्रत को निर्जला करती हैं। पूजा के लिए प्रसाद बनाया जाता है। इस दौरान स्वच्छता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखें। मान्यता है कि छठ व्रत (Chhath Puja 2024 Vrat) करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Wed, 06 Nov 2024 10:53 AM (IST)
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Chhath Puja 2024: कैसे करें छठ व्रत?
धर्म डेस्क नई दिल्ली। पंचांग के अनुसार, इस बार छठ पर्व की शुरुआत 05 नवंबर से हो गई है। पहले दिन नहाए-खाय की परंपरा को निभाया गया है। इसके बाद दूसरे दिन यानी आज (06 नवंबर) खरना पूजा (Chhath Puja Kharna 2024) है। इस दिन प्रसाद ग्रहण करने के बाद छठ के व्रत की शुरुआत होती है। यह व्रत 36 घंटे तक निर्जला रखने का विधान है। ऐसा माना जाता है कि छठ व्रत को विधिपूर्वक न करने से जातक छठी मैया की कृपा प्राप्ति से वंचित रहता है। ऐसे में आइए इस लेख में आपको बताएंगे छठ व्रत ( Chhath Puja 2024 Vrat Vidhi) की विधि के बारे में।

कैसे करें छठ व्रत

छठ पर्व के पहले दिन नहाय-खाय किया जाता है। इसके दूसरे दिन खरना पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन व्रती महिलाएं मिट्टी का नया चूल्हा बनाती हैं। गुड़ और चावल की खीर का प्रसाद बनाती हैं। इसके बाद खरना पूजा होती है और छठी मैया को प्रसाद का भोग अर्पित किया जाता है। इस प्रसाद को व्रती महिलाएं ग्रहण करती हैं और परिवार के सदस्यों में प्रसाद का वितरण किया जाता है। इसके बाद से निर्जला व्रत शुरू होता है। इसके अगले दिन व्रत किया जाता है और डूबते हुए सूर्य को विधिपूर्वक अर्घ्य दिया जाता है और अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। इस दौरान छठी मैया और सूर्य देव की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दौरान सूर्य देव के मन्त्रों का जप जरूर करना चाहिए। फिर लोगों में प्रसाद का वितरण किया जाता है और महिलाएं व्रत का पारण करती हैं। इसके पश्चात श्रद्धा अनुसार गरीब लोगों में दान करना शुभ माना जाता है।

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व्रत में न करें ये कार्य

  • छठ पूजा के व्रत के दौरान किसी से वाद-विवाद न करें।
  • इसके अलावा व्रती को चारपाई पर नहीं सोना चाहिए।
  • किसी के प्रति मन में गलत विचार धारण नहीं करने चाहिए।
  • तामसिक भोजन का सेवन न करें।

सूर्य पौराणिक मंत्र

जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम ।

तमोsरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोsस्मि दिवाकरम ।।

सूर्य वैदिक मंत्र

ऊँ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यण्च ।

हिरण्य़येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन ।।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।