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Chhath Puja 2024 Nahay Khay: नहाय-खाय के दिन इन कार्यों को करने से बचें, जानें क्या करें और क्या न करें?

सनातन शास्त्रों में छठ महापर्व का विशेष वर्णन देखने को मिलता है। इस पर्व की शुरुआत कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से होती है और वहीं इसका समापन अष्टमी तिथि पर होता है। इस दौरान छठी मैया और सूर्य देव की पूजा होती है। छठ पूजा के पहले दिन नहाय-खाय (Chhath Puja Nahay Khay) की परंपरा निभाई जाती है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Tue, 05 Nov 2024 10:33 AM (IST)
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Chhath Puja 2024: नहाय-खाय के नियम (Pic Credit-Freepik)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पंचाग के अनुसार, आज यानी 05 नवंबर से नहाय-खाय के साथ छठ पूजा की शुरुआत हो गई है। छठी मैया को समर्पित यह पर्व बिहार समेत देश के कई हिस्सों में चार दिनों तक मनाया जाता है। आज नहाय-खाय का पर्व मनाया जा रहा है और 08 नवंबर को छठ पूजा के अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, जिसके बाद व्रत का पारण किया जाएगा। ऐसा माना जाता है कि नहाय-खाय (Chhath Puja 2024 Nahay Khay) के दिन कुछ कार्यों को करने से जातक को जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही छठी मैया नाराज हो सकती हैं। ऐसे में आइए इस लेख में हम आपको बताएंगे कि छठ पूजा के पहले दिन क्या करें और क्या न करें?

(Pic Credit-Freepik)

नहाय-खाय के दिन क्या करें (What to do on the day of Nahay Khay)

  • नहाय खाय के दिन छठी मैया के नाम का ध्यान करें।
  • सात्विक भोजन का सेवन करें।
  • प्रसाद बनाते समय साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
  • व्रत करने वाले जातक को जमीन पर सोना चाहिए।
  • नहाय-खाय के दिन चने, लौकी की सब्जी और भात को बनाया जाता है।
  • सूर्य देव और छठी मैया की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करें।
  • श्रद्धा अनुसार गरीब लोगों में दान करें।
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नहाय-खाय के दिन क्या न करें (What not to do on the day of Nahay Khay)

  • नहाय-खाय के दिन किसी से वाद-विवाद न करें। इससे जातक को छठी मैया की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है।
  • किसी से बातचीत के दौरान अभद्र भाषा का इस्तेमाल न करें।
  • तामसिक भोजन के सेवन से दूर रहें।
  • बड़े-बुर्जग और महिलाओं का अपमान न करें।
  • घर को गंदा न रखें।
  • इसके अलावा काले रंग के वस्त्र धारण करने से बचना चाहिए।

 

नहाय-खाय का महत्व (Nahay Khay Significance)

छठ पूजा के पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। छठ पूजा के व्रत करने वाले जातक नदी या तालाब में स्नान करते हैं, जिसके बाद छठी मैया की पूजा-अर्चना करने का विधान है। प्रसाद के रूप में चने और लौकी की सब्जी और भात का सेवन किया जाता है।

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