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Chhath Puja 2024: रवि योग में दिया जाएगा उगते सूर्य देव को अर्घ्य, नोट करें सूर्योदय का समय

धार्मिक मान्यता है कि छठी मैया की पूजा करने से व्रती के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही जीवन में सकारात्मक शक्ति का संचार होता है। यह पर्व महाभारतकाल से मनाई जाती है। शास्त्रों में वर्णित है कि त्रेता युग में माता सीता ने भी सूर्य देव की उपासना की थी। नवविवाहित महिलाएं पुत्र प्राप्ति के लिए छठ पूजा करती हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 07 Nov 2024 07:00 PM (IST)
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Chhath Puja 2024: छठ पूजा का धार्मिक महत्व
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। देशभर में लोक आस्था का महापर्व छठ उत्साह और उमंग के साथ मनाया जा रहा है। यह पर्व हर वर्ष कार्तिक महीने में मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर छठी मैया और सूर्य देव की पूजा की जाती है। छठ पूजा चार दिवसीय त्योहार है। इसके पहले दिन नहाय-खाय मनाया जाता है। दूसरे दिन खरना मनाया जाता है। वहीं, षष्ठी तिथि को संध्या अर्घ्य और सप्तमी तिथि को सुबह का अर्घ्य दिया जाता है। ज्योतिषियों की मानें तो छठ पूजा पर रवि योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में ही उगते सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाएगा। रवि योग में सूर्य देव की उपासना करने से व्रती को आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होगा। आइए, शुभ योग एवं मुहूर्त जानते हैं-

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रवि योग

ज्योतिषियों की मानें तो छठ पूजा के चौथे दिन रवि योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 06 बजकर 38 मिनट तक है। वहीं, इस योग का समापन दोपहर 12 बजकर 03 मिनट पर होगा। इस समय ही सूर्योदय होगा। रवि योग में सूर्य देव की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी। साथ ही शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से भी निजात मिलेगी।

करण

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर गर करण का निर्माण हो रहा है। इस योग का समापन दोपहर 12 बजकर 19 मिनट पर होगा। वहीं, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का संयोग भी बन रहा है। उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का संयोग दोपहर 12 बजकर 03 मिनट तक रहेगा।

कब होगा सूर्योदय

वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर सूर्योदय प्रातः काल सुबह 06 बजकर 36 मिनट पर होगा। इस समय व्रती उगते सूर्य देव को अर्घ्य देंगी। सूर्य देव को अर्घ्य देने के पश्चात छठ पूजा का समापन होगा।

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 47 मिनट पर

सूर्यास्त - शाम 17 बजकर 26 मिनट पर

सूर्यमंडल अष्टक स्तोत्रम्

नमः सवित्रे जगदेकचक्षुषे जगत्प्रसूतिस्थितिनाश हेतवे ।

त्रयीमयाय त्रिगुणात्मधारिणे विरञ्चि नारायण शंकरात्मने ॥

यन्मडलं दीप्तिकरं विशालं रत्नप्रभं तीव्रमनादिरुपम् ।

दारिद्र्यदुःखक्षयकारणं च पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम् ॥

यन्मण्डलं देवगणै: सुपूजितं विप्रैः स्तुत्यं भावमुक्तिकोविदम् ।

तं देवदेवं प्रणमामि सूर्यं पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम् ॥

यन्मण्डलं ज्ञानघनं, त्वगम्यं, त्रैलोक्यपूज्यं, त्रिगुणात्मरुपम् ।

समस्ततेजोमयदिव्यरुपं पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम् ॥

यन्मडलं गूढमतिप्रबोधं धर्मस्य वृद्धिं कुरुते जनानाम् ।

यत्सर्वपापक्षयकारणं च पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम् ॥

यन्मडलं व्याधिविनाशदक्षं यदृग्यजु: सामसु सम्प्रगीतम् ।

प्रकाशितं येन च भुर्भुव: स्व: पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम् ॥

यन्मडलं वेदविदो वदन्ति गायन्ति यच्चारणसिद्धसंघाः ।

यद्योगितो योगजुषां च संघाः पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम् ॥

यन्मडलं सर्वजनेषु पूजितं ज्योतिश्च कुर्यादिह मर्त्यलोके ।

यत्कालकल्पक्षयकारणं च पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम् ॥

यन्मडलं विश्वसृजां प्रसिद्धमुत्पत्तिरक्षाप्रलयप्रगल्भम् ।

यस्मिन् जगत् संहरतेऽखिलं च पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम् ॥

यन्मडलं सर्वगतस्य विष्णोरात्मा परं धाम विशुद्ध तत्त्वम् ।

सूक्ष्मान्तरैर्योगपथानुगम्यं पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम् ॥

यन्मडलं वेदविदि वदन्ति गायन्ति यच्चारणसिद्धसंघाः ।

यन्मण्डलं वेदविदः स्मरन्ति पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम् ॥

यन्मडलं वेदविदोपगीतं यद्योगिनां योगपथानुगम्यम् ।

तत्सर्ववेदं प्रणमामि सूर्य पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम् ॥

मण्डलात्मकमिदं पुण्यं यः पठेत् सततं नरः ।

सर्वपापविशुद्धात्मा सूर्यलोके महीयते ॥

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।