Chhath Puja 2024: नहाय-खाय के दिन दुर्लभ भद्रावास योग समेत बन रहे हैं कई मंगलकारी संयोग
सनातन धर्म में छठ पूजा (Chhath Puja 2024 Importance) का विशेष महत्व है। यह पर्व हर वर्ष कार्तिक महीने में मनाया जाता है। इस पर्व के दौरान सूर्य देव और छठ मैया की पूजा की जाती है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। नवविवाहित महिलाएं पुत्र प्राप्ति के लिए छठ पूजा करती हैं।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 05 Nov 2024 11:15 AM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। लोक आस्था का महापर्व छठ हर वर्ष कार्तिक महीने में मनाया जाता है। इस पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। इस दिन महिलाएं (व्रती) गंगा समेत पवित्र नदियों और सरोवरों में आस्था की डुबकी लगाते हैं। सुविधा न होने पर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करते हैं। इसके बाद सूर्य देव और कुल की देवी की पूजा करती हैं। इसके बाद भोजन ग्रहण करती हैं। भोजन में अरवा चावल की भात, चने की दाल और कद्दू की सब्जी खाती हैं। ज्योतिषियों की मानें तो नहाय-खाय के दिन दुर्लभ भद्रावास योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही सुकर्मा योग का भी संयोग बन रहा है। इन योग में सूर्य उपासना करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
नहाय-खाय शुभ मुहूर्त (Chhath Puja 2024 Subh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चुतर्थी तिथि 05 नवंबर को देर रात 12 बजकर 15 मिनट तक है। व्रती महिलाएं अपनी सुविधा अनुसार समय पर स्नान-ध्यान कर सूर्य देव की पूजा-उपासना कर सकती हैं। इसके बाद चावल, दाल और सब्जी भोजन में ग्रहण कर सकती हैं।कब मनाया जाता है नहाय-खाय ? (kab hai Nahay Khay)
हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय होता है। नहाय-खाय के साथ ही छठ पूजा की शुरुआत होती है। इसके अगले दिन खरना मनाया जाता है। वहीं, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। जबकि, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को उगते सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है।