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Chhoti Devkali Mandir: यहां विराजमान हैं माता सीता की कुलदेवी, दर्शन मात्र से बनते हैं बिगड़े काम

अयोध्या में माता सीता की कुलदेवी का दिव्य मंदिर विराजमान है। ऐसा कहा जाता है कि माता (Chhoti Devkali Mandir) की आराधना और दर्शन मात्र से सभी दुखों का अंत होता है। वहीं अयोध्या के साथ-साथ वहां के आसपास के क्षेत्र के लोगों का देवी पर अटूट विश्वास है जिनका दर्शन करने वे अक्सर आते हैं तो आइए मां से जुड़ी कुछ प्रमुख बातों को जानते हैं।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Fri, 18 Oct 2024 02:51 PM (IST)
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Chhoti Devkali Mandir: माता सीता की कुलदेवी कहां हैं विराजमान? (Img Caption - Freepic)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में सभी देवी-देवताओं का अपना एक विशेष स्थान है, लेकिन भगवान राम और देवी सीता की पूजा को बेहद शुभ माना गया है। हर सनातनी राम दरबार की पूजा हर रोज भक्तिपूर्ण और भाव के साथ करते हैं, जिनके विभन्न मंदिर भी हैं। ऐसी मान्यता है कि जो साधक राम-सीता की पूजा भाव के साथ करते हैं, उन्हें उनका पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही साधक कल्याण की ओर अग्रसर होता है।

वहीं, आज हम देवी सीता की कुलदेवी के बारे में जानेंगे, जिनके दर्शन बड़ी किस्मत वालों को मिलते हैं, तो आइए जानते हैं -

माता सीता की कुलदेवी कहां हैं विराजमान? (Chhoti Devkali Mandir)

धर्म नगरी अयोध्या में माता सीता की कुलदेवी का मंदिर विराजमान हैं। ऐसा कहा जाता है कि विवाह के पश्चात माता सीता अपने साथ ही अपनी कुलदेवी को अयोध्या लेकर आई थीं, जिन्हें महाराजा दशरथ ने कनक भवन के ईशान कोण में स्थापित किया था। मां की कुलदेवी को छोटी देवकाली माता के नाम से जाना जाता है।

ऐसी मान्यता है कि छोटी देवकाली माता की पूजा करने से भक्तों के सभी कष्टों का अंत होता है। साथ ही सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है।

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ऐसे होती है पूजा-अर्चना

देवी के दरबार (Chhoti Devkali Temple) में हर रोज श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। अयोध्या के आसपास के क्षेत्र के लोगों का माता पर अटूट विश्वास है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त माता की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें स्नानादि से निवृत होकर सच्चे भाव से देवी धाम में जाना चाहिए। साथ ही उन्हें नारियल और लाल रंग की चुनरी अर्पित करनी चाहिए।

इसके बाद मां के वैदिक मंत्रों का जाप करना चाहिए और आरती से पूजा का समापन करना चाहिए। ऐसा करने से देवी प्रसन्न होती हैं और तुरंत अपने भक्तों की अर्जी को स्वीकार करती हैं।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।