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Dahi Handi 2024: इस साल कब मनाई जाएगी दही हांडी, बाल गोपाल की लीलाओं से जुड़ा है यह पर्व

हिंदू धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व विशेष महत्व रखता है। हर साल जन्माष्टमी का पर्व भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मनाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण को माखन अति प्रिय था। उन्हीं के जन्म के उत्सव के रूप में दही हांडी का पर्व मनाया जाता है। तो चलिए जानते हैं कि इस साल यह पर्व कब मनाया जाएगा।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Tue, 30 Jul 2024 06:41 PM (IST)
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Dahi Handi इस साल कब मनाई जाएगी दही हांडी? (Pic Credit- Freepik)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Dahi Handi 2024: हर साल देशभर में जन्माष्टमी का त्योहार भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसी के साथ दही हांडी का पर्व भी कृष्ण जी के जन्म की खुशी में ही मनाया जाता है। विशेषकर गुजरात और महाराष्ट्र और गोवा में बड़े ही धूमधाम से यह उत्सव मनाया जाता है। दही हांडी एक प्रसिद्ध खेल प्रतियोगिता है, जिसमें लोग बड़े ही उत्साह के साथ भाग लेते हैं।

दही हांडी शुभ मुहूर्त  

दही हांडी का पर्व कृष्ण जन्माष्टमी के एक दिन बाद यानी भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि पर मनाया जाता है। इस साल कृष्ण जन्माष्टमी सोमवार, 26 अगस्त, 2024 दिन मनाई जाएगी। ऐसे में दही हांडी का पर्व मंगलवार, 27 अगस्त के दिन मनाया जाएगा।

इसलिए मनाया जाता है ये पर्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद माह के अष्टमी तिथि की मध्य रात्रि को देवकी के गर्भ से भगवान विष्णु के स्वरूप भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन को पूरे भारतवर्ष में कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। वहीं यह भी माना जाता है कि भगवान कृष्ण को माखन अति प्रिय था।

इसलिए वह अपने सखाओं के साथ मिलकर ऊपर चढ़कर माखन और दही से भरी मटकी फोड़ा करते थे। इसलिए कान्हा जी को माखन चोर भी कहा जाता था। ऐसे में देशभर के अलग-अलग राज्यों में भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं को याद करते हुए दही हांडी का उत्सव मनाया जाता है।

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दही हांडी कैसे मनाते हैं?

मुख्य रूप से गुजरात, गोवा और महाराष्ट्र दही हांडी का अधिक प्रचलन है, इस दिन यहां दही हांडी की प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती हैं, जिसमें न केवल भाग लेने बल्कि दर्शन के रूप में भी कई लोग पहुंचते हैं। इस दिन मिट्टी से बनी मटकी में दही भरकर ऊंचे स्थान पर लटका दिया जाता है। इसके बाद पुरुषों या महिलाओं का एक समूह, जिन्हें गोविंदा भी कहा जाता है, मानव पिरामिड बनाता है। इस मानव पिरामिड पर चढ़कर एक गोविंदा नारियल की सहायता से मटकी फोड़ता है।

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।