Dakshineswar Kali Temple: इस वजह से रानी रश्मोनी ने कराया था दक्षिणेश्वर काली मंदिर का निर्माण
धार्मिक मत है कि दक्षिणेश्वर काली मंदिर (Dakshineshwar Kali Faith) में महज दर्शन मात्र से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही साधक पर मां काली की विशेष कृपा बरसती है। उनकी कृपा से साधक के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संताप दूर हो जाते हैं। साथ ही जीवन में सुखों का आगमन होता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Dakshineshwar Kali Temple History: सनातन धर्म में शुक्रवार का दिन जगत जननी मां दुर्गा को समर्पित होता है। इस दिन मां दुर्गा और उनके विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। साधक मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए मां काली की उपासना करते हैं। सनातन शास्त्रों में मां काली की महिमा का गुणगान विस्तार पूर्वक किया गया है। मां काली के शरणागत रहने वाले साधकों को मृत्यु लोक में सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है और जीवन में व्याप्त दुख और संकट से मुक्ति मिलती है। साथ ही जीवन में आने वाली बलाएं भी मां काली की कृपा से टल जाती है। ऐसा माना जाता है कि पश्चिम बंगाल में मां काली के उपासकों की संख्या सबसे अधिक है। अत: कोलकाता में मां काली के कई प्रमुख मंदिर हैं। इनमें एक दक्षिणेश्वर काली मंदिर है। इस मंदिर की प्रसिद्धि दुनियाभर में है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां काली के दर्शन के लिए दक्षिणेश्वर काली मंदिर आते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि इस मंदिर का निर्माण विवेकानंद के गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस की सहायिका रानी रश्मोनी ने कराया था? तत्कालीन समय में रानी रश्मोनी जान बाजार की जमींदार थीं। आइए, इस मंदिर के बारे में जानते हैं-
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कब हुआ था निर्माण
इतिहासकारों की मानें तो कोलकाता स्थित दक्षिणेश्वर काली मंदिर का निर्माण कार्य सन 1847 में शुरू हुआ था। वहीं, मंदिर का निर्माण 1854 में हुआ था। इसके दो वर्ष के पश्चात स्वामी रामकृष्ण परमहंस को मंदिर का पुजारी नियुक्त किया गया था। तत्कालीन समय में स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने दक्षिणेश्वर काली मंदिर को अपना समाधि स्थल बना लिया। इस मंदिर का निर्माण रानी रश्मोनी ने कराया था। उस समय रानी रश्मोनी जान बाजार की रानी और समाज सेविका भी थीं। रानी रश्मोनी नेक कार्य के लिए जानी जाती थी। स्थानीय लोग उन्हें बेहद पसंद करते थे। कई अवसर पर उन्होंने समाज सेवा कर लोगों की सहायता की। ऐसा कहा जाता है कि एक रात रानी रश्मोनी को सपने में मां काली आईं और उन्हें हुगली नदी के तट पर भवतारिणी मंदिर बनाने की सलाह दी। इसके अगले दिन ही रानी रश्मोनी ने मंदिर बनाने का आदेश दिया। इसके बाद सन 1847 में निर्माण कार्य शुरू हुआ और 1854 में मंदिर पूरा बनके तैयार हो गया।
मंदिर की संरचना
दक्षिणेश्वर काली मंदिर 25 एकड़ में फैला है। इस मंदिर की चौड़ाई 46 फुट और लंबाई 100 फुट है। मंदिर में 12 गुंबद है और मंदिर के प्रांगण में भगवान शिव के कई मंदिर हैं। इस मंदिर के अंदर चांदी से जड़ित कमल का फूल है। कमल के फूल में बड़ी संख्या में पंखुड़ियां हैं। दक्षिणेश्वर काली मंदिर में भगवान शिव के ऊपर मां काली की खड़ी प्रतिमा अवस्थित है। इसी स्थल के पास रामकृष्ण परमहंस जी मां काली की साधना करते थे।
कैसे पहुंचे दक्षिणेश्वर काली मंदिर ?
हर दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां काली के दर्शन के लिए दक्षिणेश्वर काली मंदिर आते हैं। साधक हवाई और रेल मार्ग के जरिए कोलकाता पहुंच सकते हैं। मंदिर से निकटतम एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन कोलकाता है। कोलकाता से साधक मेट्रो और बस लेकर दक्षिणेश्वर काली मंदिर जा सकते हैं। इस मंदिर के प्रति स्थानीय लोगों की बड़ी आस्था है। धार्मिक मत है कि मंदिर में मां काली के दर्शन मात्र से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। साथ ही साधक पर मां काली की असीम कृपा बरसती है।
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