Dattatreya Jayanti 2022: इस तरह हुआ था श्री दत्तात्रेय का जन्म, जानिए रोचक पौराणिक कथा
Dattatreya Jayanti 2022 हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि के दिन भगवान शिव ब्रह्मा और विष्णु जी के अंश दत्तात्रेय का जन्म हुआ था। इसी कारण इस दिन दत्तात्रेय जयंती के रूप में मनाते हैं। जानिए श्री दत्तात्रेय के जन्म की पौराणिक कथा।
By Shivani SinghEdited By: Updated: Wed, 07 Dec 2022 08:50 AM (IST)
नई दिल्ली, Dattatreya Jayanti 2022, सलिल पांडेय: दत्तात्रेय भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से एक माने जाते हैं। मार्कंडेय पुराण के नौवें और दसवें अध्याय में भगवान दत्तात्रेय के जन्म तथा प्रभाव की कथा में असंभव को संभव कर देने के दृष्टांत उल्लिखित हैं। स्वयं दत्तात्रेय की माता अनुसुइया ने अपने पतिव्रता धर्म के चलते असंभव कार्य को संभव किया।
मार्कंडेय पुराण के अनुसार, एक कुष्ठरोगी ब्राह्मण की पत्नी पतिव्रता एवं स्वामिभक्त थी, लेकिन उसका पति एक वेश्या पर अनुरक्त हो गया। पतिव्रता पत्नी उसे कंधे पर बैठाकर अंधेरी रात में वेश्या से मिलाने उसके घर चली। रास्ते में मांडव्य ऋषि तपस्या कर रहे थे, जिनसे उस कुष्ठरोगी ब्राह्मण का पैर स्पर्श कर गया। मांडव्य ऋषि ने शाप दिया कि जिसका पैर उन्हें लगा है, वह सूर्योदय होते मर जाएगा। इसे सुनकर पतिव्रता पत्नी ने पति की रक्षा और वैधव्य जीवन से बचने के लिए कहा, 'जाओ सूर्य उदय ही नहीं होगा।'
पतिव्रता पत्नी के इस संकल्प से सूर्योदय हुआ ही नहीं। ऐसे में संसार में हाहाकार मचने लगा। देवमंडल ब्रह्मा जी के पास पहुंचा, ब्रह्मा ने देवताओं से कहा कि वे अत्रि ऋषि की पतिव्रता पत्नी अनुसुइया के पास जाएं। पतिव्रता के शाप का समाधान कोई पतिव्रता ही कर सकती है।
अनसूया ब्राह्मण की पत्नी के पास आईं और कहा कि तुम सूर्योदय होने दो। मैं तुम्हारे पति को अपने तपोबल से जीवित कर दूंगी और कुष्ठ रोग से मुक्त भी कर दूंगी। ऐसा आश्वासन पाकर ब्राह्मण पत्नी ने सूर्योदय होने दिया और उस ब्राह्मण को अनुसुइया ने जीवित व व्याधि मुक्त कर दिया। इस घटना से देवता अनुसुइया से काफी प्रसन्न हुए और वरदान मांगने के लिए कहा। ऐसे में अनसूया ने 'ब्रह्मा, विष्णु, महेश को पुत्र के रूप में प्राप्त करने का वरदान मांगा।
देवताओं के वरदान के चलते ऋषि अत्रि की पत्नी अनुसुइया के गर्भ से दत्तात्रेय का जन्म हुआ। ये अत्रि की द्वितीय संतान हैं, जबकि प्रथम मानस पुत्र प्रजापति ब्रह्मा चंद्रमा के रूप में हैं और तृतीय पुत्र दुर्वासा महेश रूप हैं।
श्रीमद्भागवत के अनुसार, दत्तात्रेय ने 24 पदार्थों से अनेक शिक्षाएं ग्रहण की, जिन्हें वे अपना गुरु मानते थे। वे 24 पदार्थ हैं-पृथ्वी, वायु, आकाश, जल, अग्नि, चंद्रमा, सूर्य, कबूतर, अजगर, सागर, पतंग, मधुकर (भौंरा), हाथी, मधुहारी (मधुमक्खी), हिरन, मछली, वेश्या, गिद्ध, बालक, कुमारी कन्या, बाण बनाने वाला, सांप, मकड़ी और तितली ।
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