Dev Deepawali 2024 Date: देव दीपावली पर करें विष्णु चालीसा का पाठ, प्रसन्न होंगी माता लक्ष्मी
देव दीपावली का दिन बहुत ही कल्याणकारी माना जाता है। देव दीपावली (Dev Diwali 2024) पर गंगा स्नान के साथ अन्य पूजा अनुष्ठान का आयोजन किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस शुभ दिन पर ज्यादा से ज्यादा दान-पुण्य करना चाहिए क्योंकि इस दिन धरती पर देवता आते हैं और अपने भक्तों के सभी कष्टों को दूर करते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में देव दीवाली का बड़ा धार्मिक महत्व है। यह दिन कार्तिक पूर्णिमा को भाव के साथ मनाया जाता है। यह पर्व दीवाली के 15वें दिन पड़ता है। प्रचलित पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शंकर ने इस दिन त्रिपुरासुर नामक राक्षस का अंत किया था। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पूजा-पाठ और दान आदि करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। कहते हैं कि इस दिन (Dev Deepawali 2024 Date) देव गण स्वर्ग से धरती पर आते हैं और अपने भक्तों के सभी दुखों को दूर करते हैं।
इस दिन पूजा के दौरान 'विष्णु चालीसा' का पाठ करना भी परम कल्याणकारी माना जाता है, तो आइए यहां पर पढ़ते हैं।
।।भगवान विष्णु की चालीसा।। (Vishnu Chalisa In Hindi In Hindi)
''दोहा''
विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥
नमो विष्णु भगवान खरारी, कष्ट नशावन अखिल बिहारी ।प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी, त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥सुन्दर रूप मनोहर सूरत, सरल स्वभाव मोहनी मूरत ।तन पर पीताम्बर अति सोहत, बैजन्ती माला मन मोहत ॥शंख चक्र कर गदा विराजे, देखत दैत्य असुर दल भाजे ।सत्य धर्म मद लोभ न गाजे, काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥
सन्तभक्त सज्जन मनरंजन, दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ।सुख उपजाय कष्ट सब भंजन, दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥पाप काट भव सिन्धु उतारण, कष्ट नाशकर भक्त उबारण ।करत अनेक रूप प्रभु धारण, केवल आप भक्ति के कारण ॥धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा, तब तुम रूप राम का धारा ।भार उतार असुर दल मारा, रावण आदिक को संहारा ॥आप वाराह रूप बनाया, हिरण्याक्ष को मार गिराया ।
धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया, चौदह रतनन को निकलाया ॥अमिलख असुरन द्वन्द मचाया, रूप मोहनी आप दिखाया ।देवन को अमृत पान कराया, असुरन को छवि से बहलाया ॥कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया, मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ।शंकर का तुम फन्द छुड़ाया, भस्मासुर को रूप दिखाया ॥वेदन को जब असुर डुबाया, कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया ।मोहित बनकर खलहि नचाया, उसही कर से भस्म कराया ॥
असुर जलन्धर अति बलदाई, शंकर से उन कीन्ह लड़ाई ।हार पार शिव सकल बनाई, कीन सती से छल खल जाई ॥सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी, बतलाई सब विपत कहानी ।तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी, वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥देखत तीन दनुज शैतानी, वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ।हो स्पर्श धर्म क्षति मानी, हना असुर उर शिव शैतानी ॥तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे, हिरणाकुश आदिक खल मारे ।
गणिका और अजामिल तारे, बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ॥हरहु सकल संताप हमारे, कृपा करहु हरि सिरजन हारे ।देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे, दीन बन्धु भक्तन हितकारे ॥चाहता आपका सेवक दर्शन, करहु दया अपनी मधुसूदन ।जानूं नहीं योग्य जब पूजन, होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ॥शीलदया सन्तोष सुलक्षण, विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण ।करहुं आपका किस विधि पूजन, कुमति विलोक होत दुख भीषण ॥
करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण, कौन भांति मैं करहु समर्पण ।सुर मुनि करत सदा सेवकाई, हर्षित रहत परम गति पाई ॥दीन दुखिन पर सदा सहाई, निज जन जान लेव अपनाई ।पाप दोष संताप नशाओ, भव बन्धन से मुक्त कराओ ॥सुत सम्पति दे सुख उपजाओ, निज चरनन का दास बनाओ ।निगम सदा ये विनय सुनावै, पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै ॥॥ इति श्री विष्णु चालीसा ॥
यह भी पढ़ें: Akshaya Navami 2024: अक्षय नवमी के दिन पूजा के समय जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, प्राप्त होगा पूजा का पूर्ण फलअस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।