Move to Jagran APP

Dev Uthani Ekadashi 2024: देवउठनी एकादशी पर करें इस चालीसा का पाठ, धन-वैभव से भर जाएगा घर

एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस व्रत रखने से श्री हरि की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है। पंचांग के अनुसार इस बार यह व्रत 12 नवंबर को रखा जाएगा। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन विष्णु जी की पूजा करने से सभी कष्टों का अंत होता है। वहीं इस दिन (Dev Uthani Ekadashi 2024) कृष्ण चालीसा का पाठ करना भी बेहद शुभ माना जाता है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Mon, 11 Nov 2024 08:49 AM (IST)
Hero Image
Dev Uthani Ekadashi 2024: देवउठनी एकादशी पर करें इस चालीसा का पाठ।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। देवउठनी एकादशी का दिन अपने आप में बहुत कल्याणकारी माना जाता है। यह दिन पूरी तरह से भगवान विष्णु की पूजा को समर्पित है। इस तिथि पर भगवान विष्णु चार महीने की अवधि के बाद जागते हैं और अपना पूर्ण कार्यभार दोबारा से संभालते हैं, जो पिछले 4 माह से शिव जी के हाथों में था। यह चातुर्मास के अंत का भी प्रतीक है। देवउठनी एकादशी हर साल अत्यंत श्रद्धा के साथ मनाई जाती है। वैदिक पंचांग के अनुसार, यह हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह पर्व 12 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। वहीं, यदि आप नारायण की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं,

तो आपको इस शुभ (Dev Uthani Ekadashi 2024) अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण की चालीसा का पाठ करना चाहिए। इससे भौतिक सुखों में वृद्धि होती है, तो आइए यहां पर पढ़ते हैं।

।।कृष्ण चालीसा का पाठ।। (Krishna Chalisa)

॥ दोहा ॥

बंशी शोभित कर मधुर,नील जलद तन श्याम।

अरुण अधर जनु बिम्बा फल,पिताम्बर शुभ साज॥

जय मनमोहन मदन छवि,कृष्णचन्द्र महाराज।

करहु कृपा हे रवि तनय,राखहु जन की लाज॥

॥ चौपाई ॥

जय यदुनन्दन जय जगवन्दन।

जय वसुदेव देवकी नन्दन॥

जय यशुदा सुत नन्द दुलारे।

जय प्रभु भक्तन के दृग तारे॥

जय नट-नागर नाग नथैया।

कृष्ण कन्हैया धेनु चरैया॥

पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो।

आओ दीनन कष्ट निवारो॥

वंशी मधुर अधर धरी तेरी।

होवे पूर्ण मनोरथ मेरो॥

आओ हरि पुनि माखन चाखो।

आज लाज भारत की राखो॥

गोल कपोल, चिबुक अरुणारे।

मृदु मुस्कान मोहिनी डारे॥

रंजित राजिव नयन विशाला।

मोर मुकुट वैजयंती माला॥

कुण्डल श्रवण पीतपट आछे।

कटि किंकणी काछन काछे॥

नील जलज सुन्दर तनु सोहे।

छवि लखि, सुर नर मुनिमन मोहे॥

मस्तक तिलक, अलक घुंघराले।

आओ कृष्ण बाँसुरी वाले॥

करि पय पान, पुतनहि तारयो।

अका बका कागासुर मारयो॥

मधुवन जलत अग्नि जब ज्वाला।

भै शीतल, लखितहिं नन्दलाला॥

सुरपति जब ब्रज चढ़यो रिसाई।

मसूर धार वारि वर्षाई॥

लगत-लगत ब्रज चहन बहायो।

गोवर्धन नखधारि बचायो॥

लखि यसुदा मन भ्रम अधिकाई।

मुख महं चौदह भुवन दिखाई॥

दुष्ट कंस अति उधम मचायो।

कोटि कमल जब फूल मंगायो॥

नाथि कालियहिं तब तुम लीन्हें।

चरणचिन्ह दै निर्भय किन्हें॥

करि गोपिन संग रास विलासा।

सबकी पूरण करी अभिलाषा॥

केतिक महा असुर संहारयो।

कंसहि केस पकड़ि दै मारयो॥

मात-पिता की बन्दि छुड़ाई।

उग्रसेन कहं राज दिलाई॥

महि से मृतक छहों सुत लायो।

मातु देवकी शोक मिटायो॥

भौमासुर मुर दैत्य संहारी।

लाये षट दश सहसकुमारी॥

दै भिन्हीं तृण चीर सहारा।

जरासिंधु राक्षस कहं मारा॥

असुर बकासुर आदिक मारयो।

भक्तन के तब कष्ट निवारियो॥

दीन सुदामा के दुःख टारयो।

तंदुल तीन मूंठ मुख डारयो॥

प्रेम के साग विदुर घर मांगे।

दुर्योधन के मेवा त्यागे॥

लखि प्रेम की महिमा भारी।

ऐसे श्याम दीन हितकारी॥

भारत के पारथ रथ हांके।

लिए चक्र कर नहिं बल ताके॥

निज गीता के ज्ञान सुनाये।

भक्तन ह्रदय सुधा वर्षाये॥

मीरा थी ऐसी मतवाली।

विष पी गई बजाकर ताली॥

राना भेजा सांप पिटारी।

शालिग्राम बने बनवारी॥

निज माया तुम विधिहिं दिखायो।

उर ते संशय सकल मिटायो॥

तब शत निन्दा करी तत्काला।

जीवन मुक्त भयो शिशुपाला॥

जबहिं द्रौपदी टेर लगाई।

दीनानाथ लाज अब जाई॥

तुरतहिं वसन बने नन्दलाला।

बढ़े चीर भै अरि मुँह काला॥

अस नाथ के नाथ कन्हैया।

डूबत भंवर बचावत नैया॥

सुन्दरदास आस उर धारी।

दयादृष्टि कीजै बनवारी॥

नाथ सकल मम कुमति निवारो।

क्षमहु बेगि अपराध हमारो॥

खोलो पट अब दर्शन दीजै।

बोलो कृष्ण कन्हैया की जै॥

॥ दोहा ॥

यह चालीसा कृष्ण का,पाठ करै उर धारि।

अष्ट सिद्धि नवनिधि फल,लहै पदारथ चारि॥

यह भी पढ़ें: Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत के दिन करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ, सभी पापों से मिलेगी मुक्ति

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।