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Devi Saraswati: जुबान पर इस समय बैठती हैं देवी सरस्वती, मांगने पर पूरी करती हैं हर इच्छा

सनातन धर्म में देवी सरस्वती को विद्या बुद्धि ज्ञान व विवेक की देवी माना गया है। मां सरस्वती को वीणा की देवी भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि देवी सरस्वती ने ही पूरी दुनिया में स्वर भरे हैं।

By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Sun, 11 Jun 2023 05:40 PM (IST)
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Devi Saraswati: जुबान पर कब बैठती हैं देवी सरस्वती।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Devi Saraswati: आपने अक्सर लोगों को कहते सुना होगा कि हमारे जुबान पर कभी-कभी सरस्वती बैठती हैं, और वह जो हम बोलते हैं वह उस बात को सच करती हैं। इसलिए सलाह दी जाती है कि हमेशा शुभ-शुभ ही बोलना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि 24 घंटे में एक बार मां सरस्वती हर व्यक्ति की जुबान पर जरूर आती हैं। और उस दौरान व्यक्ति के द्वारा बोली गई कोई भी बात सच हो जाती है।

कई लोगों को काली जुबान वाला कहा जाता है। क्योंकि उनके द्वारा कही गई  अधिकतर बुरी बातें सच होने लगती हैं। वहीं दूसरी ओर किसी के द्वारा कही गई अच्छी बातें सच होती हैं। अधिकतर देखा जाता है कि जो व्यक्ति हमेशा नकारात्मक बातें करता है उसके साथ नकारात्मक चीजें अधिक होती हैं।

जीभ पर कब बैठती हैं सरस्वती

भारतीय परम्परा में सुबह 3 बजे के बाद ब्रह्म मुहूर्त शुरू हो जाता है। ऐसा माना गया है कि प्रात: काल 3:10 से 3:15 तक का समय सर्वोत्तम है, इस दौरान अगर आप हर रोज अपने मन की कामना बोलें तो आपकी वह इच्छा जरूर पूरी होती है। वहीं प्रात: काल 3:20 से 3:40 के बीच भी सरस्वती जीभ पर विराजमान होती हैं। माना जाता है कि इस समय बोला गया हर वाक्य सरस्वती के जुबान से बोला गया माना जाता है। और वह हर इच्छा पूरी करती है।

क्या मांगना चाहिए

कुछ भी मांगने से पहले ईश्वर का धन्यवाद करना जरूरी है। उसके बाद आपके जीवन में जो भी समस्या चल रही है उसे कहते हुए उसका समाधान मांगें। उदाहरण के तौर पर आप कह सकते हैं कि मेरी सैलरी बढ़कर इतनी हो जाए। सरस्वती मां से ऐसी चीज ही मांगे जो पूरी हो सके।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'