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Devshayani Ekadashi 2024 Bhog: देवशयनी एकादशी पर लगाएं ये भोग, सभी दुखों से मिलेगी मुक्ति

देवशयनी एकादशी का व्रत हिंदुओं में बेहद कल्याणकारी माना जाता है। इस उपवास को रखने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार इस व्रत को करने से श्री हरि का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही सभी पाप धुल जाते हैं। ऐसे में श्री हरि विष्णु को उनका प्रिय भोग जरूर अर्पित करें जो इस प्रकार हैं -

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Thu, 04 Jul 2024 11:20 AM (IST)
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Devshayani Ekadashi 2024 Bhog: श्री हरि के प्रिय भोग
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिन्दू धर्म में एकादशी तिथि को बहुत शुभ माना जाता है। साल में कुल 24 एकादशी मनाई जाती। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी को माना जाता है। इस बार देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi 2024) 17 जुलाई, 2024 दिन बुधवार को मनाई जाएगी। ऐसी मान्यता है कि इस तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा के साथ उनके प्रिय भोग का खास ख्याल रखना चाहिए, क्योंकि इसके बिना उनकी पूजा अधूरी होती है, तो चलिए श्री हरि के प्रिय भोग के बारे में जानते हैं -

पंचमेवा का भोग

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु को पंचमेवा का भोग जरूर लगाना चाहिए, क्योंकि यह सनातन धर्म के सबसे प्रचलित भोग में से एक माना जाता है। कहा जाता है कि जो लोग यह दिव्य भोग श्री हरि को अर्पित करते हैं, उन्हें सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही घर में बरकत का वास होता है।

केसर की मिठाई का भोग

देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को मीठे का भोग अवश्य लगाएं। कहा जाता है, उन्हें केसर की मिठाई अत्यधिक प्रिय है। ऐसे में इस शुभ अवसर पर केसर युक्त चीजें श्री हरि को जरूर अर्पित करें, जो साधक ऐसा करते हैं उन्हें सुख-शांति की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही उनके जीवन में अन्न और धन की कभी कमी नहीं रहती है।

तिल का भोग

देवशयनी एकादशी के दिन श्री हरि को काले तिल के लड्डू का भोग जरूर लगाएं। कहा जाता इसको अर्पित करने से जीवन की सारी नकारात्मकता दूर होती है। साथ ही व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।