Dhan Prapti Mantra: शुक्रवार को पूजा के समय जरूर करें इन मंत्रों का जप, धन से भर जाएगी तिजोरी
धन और वैभव में वृद्धि हेतु शुक्रवार के दिन लक्ष्मी वैभव व्रत रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य फल से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। मां लक्ष्मी की कृपा से साधक को मृत्यु लोक में सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में भी धन संकट दूर करने हेतु लक्ष्मी उपासना का विधान है।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 16 May 2024 09:00 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Dhan Prapti Mantra: शुक्रवार के दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर देव की पूजा की जाती है। इस दिन दैत्यों के गुरु शुक्र देव की भी उपासना की जाती है। साथ ही सुख, सौभाग्य, धन और वैभव में वृद्धि हेतु लक्ष्मी वैभव व्रत रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य फल से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। व्रती को धन की देवी मां लक्ष्मी का अनुग्रह प्राप्त होता है। आसान शब्दों में कहें तो मां लक्ष्मी की कृपा से साधक को मृत्यु लोक में सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में भी धन संकट दूर करने के लिए लक्ष्मी उपासना का विधान है। अगर आप भी आप आर्थिक तंगी से परेशान हैं, तो शुक्रवार को विधि-विधान से धन की देवी मां लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर देव और दैत्यों के गुरु शुक्र देव की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का जप अवश्य करें। इन मंत्रों के जप से धन की समस्या दूर हो जाती है।
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शुक्र देव मंत्र
- ऊँ अन्नात्परिस्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत क्षत्रं पय: सेमं प्रजापति: ।
- ऊँ हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम ।।
- ॐ भृगुराजाय विद्महे दिव्य देहाय धीमहि तन्नो शुक्र प्रचोदयात् ।।
कुबेर मंत्र
- ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये
धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥
- ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥
मां लक्ष्मी मंत्र
- ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
- ॐ ऐं श्रीं महालक्ष्म्यै कमल धारिण्यै गरूड़ वाहिन्यै श्रीं ऐं नमः
- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौं ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौं ऐं क्लीं ह्रीं श्री ॐ।
- ॐ ह्री श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम गृहे धनं पूरय पूरय चिंतायै दूरय दूरय स्वाहा ।
- ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।
- ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
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