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Dhanteras 2023: धनतेरस पर करें मां लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की विशेष आरती, मिलेगा सुख-समृद्धि का आशीर्वाद

Dhanteras 2023 सनातन धर्म में धनतेरस का पर्व बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। हिंदू पंचांग अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाया जाता है। इस शुभ दिन पर कई देवी- देवताओं की पूजा का विधान है। साथ ही इस खास दिन पर माता लक्ष्मी (Goddess Lakshmi) और धन्वंतरि (Lord Dhanvantari) जी की विशेष आरती का खास महत्व है जो इस प्रकार है-

By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Fri, 10 Nov 2023 12:11 PM (IST)
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Dhanteras 2023: कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Dhanteras 2023: सनातन धर्म में दीपावली का पर्व बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। यह 5 दिवसीय त्योहार है, जिसकी शुरुआत धनतेरस से होती है और समापन भाई दूज पर होता है। हिंदू पंचांग अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। जिसमें कई देवी- देवताओं की पूजा का विधान है।

इस दिन भगवान कुबेर के अलावा मां लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की पूजा होती है। इस शुभ दिन पर माता लक्ष्मी और धन्वंतरि जी की विशेष आरती का खास महत्व है, जो इस प्रकार है-

।।मां लक्ष्मी की आरती।।

ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता

तुमको निशदिन सेवत

मैया जी को निशदिन सेवत

हरि विष्णु विधाता

।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।

उमा रमा ब्रह्माणी तुम ही जगमाता

मैया तुम ही जगमाता

सूर्य चन्द्रमा ध्यावत

नारद ऋषि गाता

।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।

दुर्गा रूप निरंजनी सुख सम्पत्ति दाता

मैया सुख सम्पत्ति दाता

जो कोई तुमको ध्यावत

ऋद्धि-सिद्धि धन पाता

।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।

तुम पाताल निवासिनि तुम ही शुभदाता

मैया तुम ही शुभदाता

कर्मप्रभावप्रकाशिनी

भवनिधि की त्राता

।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।

जिस घर में तुम रहती सब सद्गुण आता

मैया सब सद्गुण आता

सब सम्भव हो जाता

मन नहीं घबराता

।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।

तुम बिन यज्ञ न होते वस्त्र न कोई पाता

मैया वस्त्र न कोई पाता

खान पान का वैभव

सब तुमसे आता

।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।

शुभ गुण मन्दिर सुन्दर क्षीरोदधि जाता

मैया सुन्दर क्षीरोदधि जाता

रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहीं पाता

।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।

महालक्ष्मीजी की आरती जो कोई नर गाता

मैया जो कोई नर गाता

उर आनन्द समाता पाप उतर जाता

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता

तुमको निशदिन सेवत

हरि विष्णु विधाता

।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।

।। मैया जय लक्ष्मी माता।।

।। धन्वंतरि जी की आरती।।

जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।

जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।। जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।।

तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए।

देवासुर के संकट आकर दूर किए।। जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।

आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया।

सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।। जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।

भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी।

आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी।। जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।

तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे।

असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे।। जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।

हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा।

वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा।। जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।

धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे।

रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे।। जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।

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