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Dhanteras 2023: धनतेरस पर करें भगवान कुबेर की ये आरती, खुल जाएगी किस्मत की चाभी

Dhanteras 2023 धनतेरस पर धन की देवी के साथ भगवान कुबेर की पूजा श्रद्धा और समर्पण के साथ करना चाहिए जो लोग ऐसा करते हैं उन्हें धन और सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है। इसके अलावा पूजा का समापन कुबेर (Lord Kuber Aarti) आरती से करना बेहद शुभ माना गया है। तो आइए यहां पढ़ते हैं भगवान कुबेर की आरती-

By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Thu, 09 Nov 2023 12:50 PM (IST)
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Dhanteras 2023: भगवान कुबेर की ऐसे करें आरती

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Dhanteras 2023: सनातन धर्म में धनतेरस पर्व का बेहद महत्व है। इस साल यह शुभ त्योहार 10 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन पर लोग भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी को आसानी से प्रसन्न कर सकते हैं। ऐसे में हर किसी को इस दिन धन की देवी के साथ भगवान कुबेर की पूजा श्रद्धा और समर्पण के साथ करना चाहिए, जो लोग ऐसा करते हैं उन्हें धन और सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है।

इसके अलावा पूजा का समापन कुबेर आरती से करना बेहद शुभ माना गया है। तो आइए यहां पढ़ते हैं भगवान कुबेर की आरती-

॥भगवान कुबेर की आरती॥

ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे,

स्वामी जै यक्ष जै यक्ष कुबेर हरे ।

शरण पड़े भगतों के,

भण्डार कुबेर भरे ।

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,

स्वामी भक्त कुबेर बड़े ।

दैत्य दानव मानव से,

कई-कई युद्ध लड़े ॥

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

स्वर्ण सिंहासन बैठे,

सिर पर छत्र फिरे,

स्वामी सिर पर छत्र फिरे ।

योगिनी मंगल गावैं,

सब जय जय कार करैं ॥

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

गदा त्रिशूल हाथ में,

शस्त्र बहुत धरे,

स्वामी शस्त्र बहुत धरे ।

दुख भय संकट मोचन,

धनुष टंकार करें ॥

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

भांति भांति के व्यंजन बहुत बने,

स्वामी व्यंजन बहुत बने ।=

मोहन भोग लगावैं,

साथ में उड़द चने ॥

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

बल बुद्धि विद्या दाता,

हम तेरी शरण पड़े,

स्वामी हम तेरी शरण पड़े ।

अपने भक्त जनों के,

सारे काम संवारे ॥

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

मुकुट मणी की शोभा,

मोतियन हार गले,

स्वामी मोतियन हार गले ।

अगर कपूर की बाती,

घी की जोत जले ॥

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

यक्ष कुबेर जी की आरती,

जो कोई नर गावे,

स्वामी जो कोई नर गावे ।

कहत प्रेमपाल स्वामी,

मनवांछित फल पावे ॥

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥

॥कुबेर मंत्र॥

ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥

ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये, धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥

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