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Diwali 2024: एक क्लिक में नोट करें धनतेरस, दिवाली से लेकर छठ पूजा की सही डेट

हर वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर दिवाली मनाई जाती है। इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। वहीं कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाया जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। धनतेरस के दिन स्वर्ण और चांदी से निर्मित आभूषण की खरीदारी करने का विधान है। इस वर्ष 29 अक्टूबर को धनतेरस (Dhanteras 2024 Date) है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 17 Oct 2024 08:22 PM (IST)
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Diwali 2024: कब और क्यों मनाया जाता है धनतेरस ?

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। कार्तिक का महीना बेहद खास होता है। इस महीने में जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां तुलसी की पूजा की जाती है। यह महीना पूर्णतया भगवान विष्णु को समर्पित होता है। भगवान विष्णु चार महीने के विश्राम के बाद कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जागृत होते हैं। इस तिथि पर देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। इसके अगले दिन तुलसी विवाह मनाया जाता है। इससे पूर्व कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष में धनतेरस और दिवाली समेत कई प्रमुख व्रत त्योहार मनाए जाते हैं। आइए, धनतेरस, दिवाली से लेकर छठ पूजा की सही डेट जानते हैं -

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कब है धनतेरस ?

वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 29 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 31 मिनट से शुरू होगी और 30 अक्टूबर को दोपहर 01 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। इसके लिए 29 अक्टूबर को धनतेरस मनाया जाएगा। धनतेरस के दिन पूजा के लिए शुभ समय संध्याकाल 06 बजकर 31 मिनट से लेकर 08 बजकर 13 मिनट तक है।

कब है दिवाली ?

वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत 31 अक्टूबर को दोपहर 03 बजकर 52 मिनट से शुरू होगी और 1 नवंबर को संध्याकाल 06 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगी। ज्योतिषियों की मानें तो 1 नवंबर को पूजा हेतु प्रदोष काल की अवधि बहुत कम है। संध्याकाल 06 बजकर 16 मिनट के बाद कार्तिक माह की प्रतिपदा शुरू हो जाएगी। वहीं, 31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजा का शुभ संयोग दोपहर बाद से रात्रि तक है। अत: प्रकांड पंडितों एवं ज्योतिषियों का कहना है कि 31 अक्टूबर के दिन दिवाली मनाना शुभ होगा।

कब है छठ पूजा ?

वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 07 नवंबर को देर रात 12 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी और 08 नवंबर को देर रात 12 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगी। इस प्रकार 05 नवंबर को नहाय-खाय मनाया जाएगा। इसके अगले दिन यानी 06 नवंबर को खरना होगा। वहीं, 07 नवंबर को संध्याकाल का अर्ध्य दिया जाएगा। जबकि , 08 नवंबर को सुबह का अर्घ्य दिया जाएगा। छठ पूजा की तिथि और शुभ मुहूर्त के लिए स्थानीय पंचांग अवश्य देखें। 

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।