Diwali 2023: दिवाली के दिन 'सौभाग्य' योग समेत बन रहे हैं ये 3 अद्भुत संयोग, होगी धन की बारिश
ज्योतिषियों की मानें तो दिवाली पर प्रदोष काल में धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है। अतः ज्योतिष प्रदोष काल में पूजा करने की सलाह देते हैं। इस वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या तिथि 12 नवंबर को दोपहर 02 बजकर 44 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 13 नवंबर को दोपहर 02 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगी।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली | Diwali 2023: हर वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को प्रकाश का पर्व दीपावली मनाई जाती है। इस वर्ष 12 नवंबर को दिवाली है। इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और सुख-समृद्धि के दाता भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मत है कि मां लक्ष्मी की पूजा-उपासना करने से साधक को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा और यश-कीर्ति में अपार वृद्धि होती है। ज्योतिषियों की मानें तो कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर सौभाग्य योग कई अद्भुत संयोग बन रहे हैं। इन योग में धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से धन, आय, सुख और समृद्धि में अपार वृद्धि होती है। आइए, शुभ योग और मुहूर्त जानते हैं-
शुभ मुहूर्त
ज्योतिषियों की मानें तो दिवाली पर प्रदोष काल में धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। अतः ज्योतिष प्रदोष काल में पूजा करने की सलाह देते हैं। इस वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या तिथि 12 नवंबर को दोपहर 02 बजकर 44 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 13 नवंबर को दोपहर 02 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगी। दिवाली पर प्रदोष काल में मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। अतः 12 नवंबर को दिवाली मनाई जाएगी। इस दिन प्रदोष काल 05 बजकर 39 मिनट से लेकर संध्याकाल 07 बजकर 35 मिनट तक है। इसके अलावा, संध्याकाल से पूर्व आयुष्मान योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में खरीदारी कर सकते हैं।
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सौभाग्य योग
दिवाली पर अति दुर्लभ 'सौभाग्य' योग का निर्माण हो रहा है। ज्योतिष सौभाग्य योग को बेहद शुभ मानते हैं। इस योग में धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को अपार धन की प्राप्ति होती है। इस योग का निर्माण संध्याकाल 04 बजकर 25 मिनट से हो रहा है, जो 13 नवंबर को दोपहर 03 बजकर 23 मिनट तक है। ज्योतिष भी सौभाग्य योग में शुभ कार्य करने की सलाह देते हैं। साथ ही दिवाली तिथि पर अग्निवास पृथ्वी पर रहेगा। इस दौरान हवन और पूजा करना विशेष फलदायी रहेगा।
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