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Ashta Lakshmi Puja: धन की देवी मां लक्ष्मी के हैं कितने रूप और कैसे करें इनकी पूजा ?

माता लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है। देवी की विशेष आराधना करने से सौभाग्य प्रचुरता और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां की आराधना करने से व्यक्ति के जीवन का हर संकट दूर होता है। साथ ही सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है तो आइए मां अष्टलक्ष्मी (Ashta Lakshmi Puja) के सभी स्वरूपों के बारे में जानते हैं।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Thu, 17 Oct 2024 05:11 PM (IST)
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Ashta Lakshmi Puja: मां लक्ष्मी के आठ स्वरूप।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में देवी लक्ष्मी की पूजा बेहद शुभ मानी गई है। देवी लक्ष्मी के आठ स्वरूप हैं, जिन्हें अष्टलक्ष्मी के नाम से जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि मां के आठ रूपों की पूजा करने से भक्तों के सभी प्रकार के दुखों का अंत होता है। साथ ही जीवन में खुशहाली आती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवी लक्ष्मी की निम्नलिखित अभिव्यक्तियों (Ashta Lakshmi Puja) का स्वरूप बेहद ही निराला और मनमोहक है, जिनका ध्यान करने मात्र से उपासक के सभी कष्टों का अंत हो जाता है, तो आइए मां के इन 8 रूपों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

मां लक्ष्मी के आठ स्वरूप

आदि लक्ष्मी - देवी के इस रूप की पूजा से मोक्ष की प्राप्ति होती है। मां को मूललक्ष्मी, महालक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है। देवी भागवत पुराण के अनुसार, माता ने सृष्टि की रचना की है। इसके साथ ही उन्हीं से त्रिदेव और महाकाली, लक्ष्मी व महासरस्वती प्रकट हुईं। देवी की पूजा-अर्चना करने से जीवन में संपन्नता आती है।

विद्यालक्ष्मी - मां विद्यालक्ष्मी की पूजा से शिक्षा के सभी क्षेत्रों में सफलता मिलती है। देवी शिक्षा ज्ञान और विवेक का प्रतीक मानी जाती हैं। उनकी पूजा से बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है।

धान्य लक्ष्मी - देवी के इस स्वरूप की साधना करने से भक्तों को जीवन भर अन्न-धन की कमी नहीं होती है। इन्हें माता अन्नपूर्णा के समान माना जाता है। इनकी उपासना करने से घर अनाज और पोषण से परिपूर्ण रहता है।

गज लक्ष्मी - मां गजलक्ष्मी की उपासना से साधक को कृषि में लाभ देखने को मिलता है। माता का यह स्वरूप भूमि की उर्वरता बनाए रखता है। देवी कमल पर विराजमान हैं और उनके चार हाथ हैं, जिनमें वे कमल का फूल, अमृत कलश, बेल और शंख धारण करती हैं।

संतान लक्ष्मी - देवी इस रूप में अपने भक्तों की रक्षा अपनी संतान की तरह करती हैं। इस रूप में देवी की पूजा स्कंद माता के रूप में होती है। ऐसा कहा जाता है कि जिन्हें संतान से जुड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, उन्हें मां के इस रूप की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

वीर लक्ष्मी - देवी का यह स्वरूप भक्तों को साहस प्रदान करता है। इन्हें धार्या लक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि देवी के इस रूप की पूजा करने से अकाल मृत्यु से रक्षा होती है। इसके साथ ही मां को देवी कात्यायनी का रूप भी माना जाता है, जिन्होंने महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी।

विजयलक्ष्मी - मां के इस स्वरूप की आराधना करने से जीवन के हर क्षेत्र में विजय प्राप्त होती है। इन्हें जय लक्ष्मी भी कहा जाता है। माता के आठ हाथ हैं, जो भक्तों को अभय प्रदान करते हैं। साथ ही सभी परिस्थितियों में साहस बनाए रखने की प्रेरणा देते हैं।

धनलक्ष्मी - माता के इस स्वरूप की पूजा से भक्त को कर्ज से मुक्ति मिलती है, जब भगवान विष्णु के स्वरूप वेंकटेश भगवान ने कुबेर से कर्ज लिया था, तब देवी लक्ष्मी ने श्री वेंकटेश स्वामी को कर्ज से मुक्ति दिलाने के लिए यह रूप धारण किया था। माता का यह स्वरूप साधक को इच्छाशक्ति, साहस, दृढ़ संकल्प और उत्साह प्रदान करता है।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।